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मेट्रो की हवा से बन सकेगी बिजली, डीयू की छात्राओं ने किया प्रयोग

मेट्रो के टनल से निकलने वाली हवा की रफ्तार का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा सकेगा। यही नहीं, यह बिजली मेट्रो के लिए भी उपयोगी साबित होगी। यह नया प्रयोग दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कालिंदी कॉलेज की छात्राएं कर रही हैं। 2012 में इसी कॉलेज की छात्र तूलिका,

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2015 05:14 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2015 08:00 AM (IST)

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। मेट्रो के टनल से निकलने वाली हवा की रफ्तार का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा सकेगा। यही नहीं, यह बिजली मेट्रो के लिए भी उपयोगी साबित होगी। यह नया प्रयोग दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कालिंदी कॉलेज की छात्राएं कर रही हैं। 2012 में इसी कॉलेज की छात्र तूलिका, मेघना तथा अन्य छात्रओं के दिमाग से उपजा यह विचार आज बड़े प्रोजेक्ट का रूप लेने जा रहा है।

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डॉ. पुनीता वर्मा के निर्देशन में इनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुआ यह मॉडल बेहद उपयोगी विचार होने के कारण इसे सीएसआइआर का स्वदेशी साइंस अवार्ड भी मिला है। दुनिया में तेजी से घट रहे ऊर्जा के श्रोतों के कारण यह प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण है। इसे 2012 में जब शुरू किया गया था, तब इंडो-जर्मन वैज्ञानिकों ने भी इसे काफी सराहा है। इसी कारण विश्व में सतत, सुरक्षित और गैर प्रदूषणकारी पवन ऊर्जा जैसी विविध ऊर्जा में मानव जाति की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है।

ऐसे आया विचार

डॉ. पुनीता वर्मा ने बताया कि कॉलेज की दो छात्रएं जब मेट्रो स्टेशन पर खड़ी थी तो मेट्रो के आने के कारण टनल से तेज हवा निकली, जिससे उनके कपड़े और बाल उड़ने लगे उनको लगा इस हवा में वेग है और इसका उपयोग किया जा सकता है। उसके बाद उन्होंने यह विचार हमें दिया और हम लोगों ने उनके साथ इसे आगे बढ़ाया। उस वक्त लगा कि इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल ईंधन व बिजली की लागत में गिरावट के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी होगी बल्कि यह बेहतर विकल्प के रूप में भी सामने आएगा। इसके बाद हमने छात्रों के साथ मेट्रो स्टेशनों को खोजना शुरू किया, जहां पर हवा का वेग अधिक है। सबसे अधिक हवा का वेग चावड़ी बाजार मेट्रो स्टेशन पर है। वहीं पर टरबाइन लगाए जाएंगे। इस पूरे प्रोजेक्ट में मेट्रो का योगदान महत्वपूर्ण है।

डीयू ने दिए 15 लाख रुपये

एक अनुमान के मुताबिक, तीव्र गति मेट्रो द्वारा उत्पादित वायु से प्रतिदिन २ किलो वाट से 50 किलो वाट की सीमा में विद्युत उत्पन्न किया जा सकता है। यह ऊर्जा मेट्रो प्लेटफार्मो को अपनी ऊर्जा जरूरतों के मामले में कुछ हद तक स्वावलंबी बनाने के लिए उपयोग की जा सकती है। यह ऊर्जा बैटरी में भी संग्रहीत की जा सकती है। इस प्रोजेक्ट के लिए डीयू ने 15 लाख रुपये दिए हैं लेकिन इसके सफल प्रयोग के बाद इससे कई गुना कीमत बिजली के रूप में वसूली जा सकती है।


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