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सड़क हादसों पर SC का कड़ा बयान, ड्राइविंग लाइसेंस लोगों को मारने के लिए नहीं होता

घटना 18 दिसंबर 1995 की है। यमुना नगर डिपो की हरियाणा रोडवेज बस का करनाल के इंद्राणी रोड पर एक्सीडेंट हो गया था। इस दुर्घटना में बस के यात्री सुभाष चंद्र की मौत हो गई थी

By Atul GuptaEdited By: Published: Tue, 31 May 2016 04:51 AM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 09:28 AM (IST)
सड़क हादसों पर SC का कड़ा बयान, ड्राइविंग लाइसेंस लोगों को मारने के लिए नहीं होता

नई दिल्ली, [माला दीक्षित]। बेलगाम रोडवेज बसों से होने वाले हादसों को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को तल्ख टिप्पणी में कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस लोगों को मारने के लिए नहीं दिये जाते। कोर्ट ने सड़क दुर्घटना के दोषी हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर की कैद की सजा खतम कर मुआवजा बढ़ाने की अपील खारिज करते हुए कहा कि मुआवजा बढ़ाने से मरने वाले की जिंदगी वापस नहीं आती। जिसकी जान चली तो चली गई। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए ड्राइवर की छह महीने की कैद और 30000 रुपये जुर्माने की सजा पर अपनी मुहर लगा दी।
ये आदेश न्यायमूर्ति पीसी घोष व न्यायमूर्ति अमिताव राय की अवकाश कालीन पीठ ने ड्राइवर अमरीक सिंह की याचिका खारिज करते हुए दिये। हरियाणा रोडवेज के ड्राइवर अमरीक सिंह को निचली अदालत ने लापरवाही से तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने के जुर्म में एक साल के कारावास की सजा सुनवाई थी जिसे हाईकोर्ट ने घटा कर छह महीने के कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने में बदल दिया था। अमरीक सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीमकोर्ट मे चुनौती दी थी।

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सोमवार को मामले पर बहस के दौरान जब अमरीक सिंह के वकील आरके कपूर ने कोर्ट से अमरीक की कैद की सजा काटी जा चुकी अवधि तक सीमित करने का आग्र्रह किया तो कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस लोगों को मारने के लिए नहीं दिये जाते। वकील ने कहा कि जो चला गया वो चला गया कोर्ट अभियुक्त पर रहम करे। अभियुक्त ने अपने 23 साल के रोडवेज ड्राइवर के कैरियर में कभी कोई दुर्घटना नहीं की। ये मामला महज एक हादसा था जिसमें उसकी कोई गलती नहीं थी बल्कि उसने को हादसे को टालने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि बस का यू बोल्ट टूटने से बस बेकाबू होकर पेड़ से टकरा गई थी उसमें ड्राइवर की गलती नहीं थी। कपूर ने कहा कि अभियुक्त छह महीने में से ढाई महीने की सजा भुगत चुका है ऐसे में कोर्ट कैद की सजा काटी गई अवधि तक सीमित कर दे इसके बदले चाहे तो हाईकोर्ट द्वारा लगाए गए 30000 जुर्माने की रकम और बढ़ा दे। इस दलील पर नाराजगी जताते हुए पीठ ने कहा कि क्या मुआवजा बढ़ा देने से जिसकी मौत हुई है उसकी जिंदगी वापस आ जाएगी। मौत केवल एक बार होती है क्या आप ये नहीं जानते। इसके साथ ही कोर्ट ने ड्राइवर की अपील खारिज कर दी।

क्या था मामला?

घटना 18 दिसंबर 1995 की है। यमुना नगर डिपो की हरियाणा रोडवेज बस का करनाल के इंद्राणी रोड पर एक्सीडेंट हो गया था। बस पेड़ से टकरा कर पलट गई थी। इस दुर्घटना में बस के यात्री सुभाष चंद्र की मौत हो गई थी जबकि कई अन्य यात्री घायल हुए थे। अदालत ने बस के ड्राइवर अमरीक सिंह को लापरवाही से गाड़ी चलाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी।

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