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खूंखार नक्सली गणपति डेढ़ दशक से जंगलों से नहीं निकला

नक्सली सुप्रीमो गणपति की उम्र 60 से ऊपर हो गई है और वह अब कमजोर हो गया है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 22 Jun 2016 10:09 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2016 10:40 PM (IST)
खूंखार नक्सली गणपति डेढ़ दशक से जंगलों से नहीं निकला

योगेंद्र ठाकुर, दंतेवाड़ा। नक्सली सुप्रीमो गणपति की उम्र 60 से ऊपर हो गई है और वह अब कमजोर हो गया है। लाठी के सहारे पहाड़ चढ़ता है या लोग उसे ढोले में बिठाकर ले जाते हैं। पिछले एक दशक से वह जंगलों से बाहर नहीं निकला है। उसके शुभचिंतक मिलने और दवा पहुंचाने जंगल के भीतर पहुंचते हैं। उसकी सुरक्षा में 55 से अधिक हथियारबंद नक्सली हमेशा मौजूद रहते हैं। यह खुलासा उसके सुरक्षा में तैनात रहा मिलेट्री कमांडर चीफ पोदिया कड़ती ने बुधवार को एसपी कार्यालय में 'नईदुनिया" से चर्चा के दौरान किया।

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पोदिया के अनुसार नक्सलियों के साथ दो साल काम करने के बाद सन् 2002 में उसे मिलेट्री कंपनी 07 का सदस्य बनाकर सेंट्रल कमेटी के महासचिव गणपति की सुरक्षा में तैनात किया गया। जहां वह 2012 तक तैनात रहा। इस बीच उसके कार्य को देखते गणपति की अनुशंसा पर ही प्लाटून कमांडर और एसी सदस्य के रुप में पदोन्न्त किया गया और मैनपुर गरियाबंद, नुआपाड़ ओडिशा के संयुक्त डिवीजनल कमेटी में मिलेट्री कमांड इन चीफ की जिम्मेदारी दी गई थी। पोदिया के अनुसार सुप्रीमो गणपति अबूझमाड़ के जंगलों में 55 से अधिक हथियारबंद नक्सलियों की सुरक्षा में रहता है।

वह पिछले डेढ़ दशक से जंगल और पहाड़ों में ही रह रहा है। बाहरी दुनिया के लोग उससे मिलने के लिए जंगल पहुंचते हैं या पत्राचार करते हैं। पोदिया ने बताया कि गणपति अब कमजोर और बीमार रहता है। लंबे समय से वह ठीक से चल नहीं पाता। पहाड़ी चढ़ने के लिए लकड़ी का सहारा लेता है। लोग उसे गांव या दूसरे जंगल ढोला में बिठाकर ले जाते है। शुगर सहित अन्य कई बीमारियों से वह जकड़ा हुआ है। उसके शुभचिंतक दवा और अन्य सामग्रियां भी लेकर आते हैं।

पोदिया के अनुसार गणपति का जंगल और शहर दोनों जगह तगड़ा नेटवर्क है वहीं उस तक पहुंचने के लिए तीन सुरक्षा घेरे को पार करना पड़ता है। पोदिया की माने तो फिलहाल गणपति माड़ के जंगल से निकलकर ओडिशा के पहाड़ी इलाके में डेरा डाला है। पोदिया के अनुसार उसके सुरक्षा दस्ते में एके-47 चलाने वाले लड़ाकों में दवा और बीमारी के जानकार डॉक्टर भी हैं। जो समय-समय पर उसे दवा और मालिश करते हैं।

पत्नी भी नक्सली संगठन में

आत्मसमर्पण करने वाला पोदिया का कहना है कि माड़ के जंगल में रहने के दौरान उसने रंजीता से विवाह किया, अब संगठन में उसका नाम सुरेखा है। शादी के बाद नक्सलियों ने आंध्रप्रदेश में ले जाकर दोनों का नसबंदी करा दिया। फिलहाल उसकी पत्नी नक्सलियों के साथ कहां है वह नहीं जानता है। पिछले आठ-दस माह से मुलाकात नहीं हुई है। उसके समर्पण की जानकारी भी पत्नी को नहीं है। उसे लगता है कि पत्नी आत्मसर्पण नहीं करेगी। पोदिया बताता है कि उसे सभी तरह के हथियार चलाना आता है।

जीजा बना प्रेरणा स्रोत

पोदिया कड़ती के अनुसार ओडिशा में काम करने के दौरान 2014 में मतदान पार्टी को बम से उड़ाने की जिम्मेदारी मिली थी, जिसमें वह कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद संगठन के लोग उसे परेशान करने लगे तो वह खुद को उपेक्षित महसूस किया। इस बीच अपने जीजा के संपर्क में आया (जो पहले नक्सली था और अब आत्मसर्पण कर सहायक आरक्षक बन गया है) और अपनी व्यथा बताते मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई थी। इसके बाद वह लगातार बीजापुर और दंतेवाड़ा पहुंचता रहा लेकिन भय से अधिकारियों के सामने नहीं आया। किसी तरह दंतेवाड़ा के पुलिस अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाई और समर्पण कर दिया।

कैमरा और हथियार दोनों चलाता है प्रभात

नक्सलियों के समर्पण के दौरान पुलिस अधिकारियों ने नक्सलियों द्वारा तैयार एक वीडियो दिखाया। जिसमें 2003 में बीजापुर जिले के मुरकीनार थाने में हुए हमले का दृश्य है। इस वीडियो को प्रभात नामक नक्सली ने तैयार किया था। इसका खलासा भी पोदिया ने करते बताया कि प्रभात टेक्नीकल विंग का सदस्य है और हर वारदात में हथियार चलाने के साथ वह वीडियो भी तैयार करता है। मुरकीनार थाने में हमले के दौरान जिस वाहन से नक्सली पहुंचे थे उसे प्रभात ही चला रहा था। VIDEO-हॉट मॉडल कंदील बलोच संग पाक मौलवी का ये वीडियो..

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