डॉ. मनमोहन सिंह: हर दिन मौनी अमावस्या
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का मौन अब शोध का विषय बन चुका है। जब से वे प्रधानमंत्री बने हैं, हमारे खुराफाती हुरियार प्रधानमंत्री का मतलब परमानेंटली म्यूट समझने लगे हैं। हालांकि पहले तो लगता था कि वे देश की स्थिति पर गहन चिंतन करने के कारण मौन रहते होंगे। लेकिन जब से उन्होंने शेर मारा है कि हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का मौन अब शोध का विषय बन चुका है। जब से वे प्रधानमंत्री बने हैं, हमारे खुराफाती हुरियार प्रधानमंत्री का मतलब परमानेंटली म्यूट समझने लगे हैं। हालांकि पहले तो लगता था कि वे देश की स्थिति पर गहन चिंतन करने के कारण मौन रहते होंगे। लेकिन जब से उन्होंने शेर मारा है कि हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी, तब से उनके पूरे होशोहवाश में हर दिन मौनी अमावस्या मनाने की साजिश का खुलासा हो गया है।
पहले लोग न जाने क्या-क्या कयास लगा रहे थे। कोई कह रहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा ने उन्हें खामोश बोल दिया है। कोई कह रहा था कि जब आदमी गले तक खा लेता है, तो बोल नहीं पाता। जितने मुंह उतनी बातें। लेकिन अब तो तय है कि मनमोहन सिंह ने अपने शब्दों को न त्यागकर महान त्याग किया है। वे सवालों की आबरू रखने पर आमादा थे। सवाल भी महंगाई, घोटालों, भ्रष्टाचार, आतंकवाद आदि के थे। सब सवालों की आबरू बचा ली मनमोहन सिंह ने।
भंगेड़ी हुरिहारों ने खबर दी है कि मनमोहन सिंह आजकल आत्मकथात्मक प्रेरणास्पद पुस्तक लिख रहे हैं, जिसका शीर्षक है चुप रहने के फायदे। पेपर आउट करने में उस्ताद हमारे झंकइयों ने बताया है कि एक चैप्टर में उन्होंने लिखा है कि पहले उन्हें बोलने का व्यसन [कुटैव] था, लेकिन स्वप्न में सोनिया जी की दिव्य प्रेरणा से उन्हें मौन साधक बनने का सौभाग्य मिला। [विवेक भटनागर]
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