कांग्रेस की हार पर बोले दिग्गी, पार्टी को मेजर सर्जरी की जरूरत
कांग्रेस की करारी हार पर पार्टी में खलबली है। कद्दावर नेताओं ने पूछा कि आखिर हम कब तक मंथन करते रहेंगे। अब कार्रवाई करने का समय आ चुका है।
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर की कांग्रेस पार्टी अब महज कुछ राज्यों में सिमट कर रह गयी है। लोकसभा और हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद एक बार फिर मंथन शुरू हो चुका है। लेकिन कांग्रेस के कुुछ कद्दावर नेताओं का कहना है कि पार्टी के लचर प्रदर्शन पर हम कब तक मंथन करते रहेंगे। आखिर पार्टी कब तक हार दर हार का सामना करती रहेगी। पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि ये सच है कि चुनाव परिणाम निराश करने वाले हैं। लेकिन मंथन करने का समय निकल चुका है। भारतीय राजनीति में वापसी करने के लिए लिए पार्टी को अब मेजर सर्जरी करने की जरूरत है।
कांग्रेस की हार, राहुल की रणनीति पर उठे सवालToday's results disappointing but not unexpected. We have done enough Introspection shouldn't we go for a Major Surgery ?
— digvijaya singh (@digvijaya_28) May 19, 2016
कब तक करेंगे मंथन ?
विधानसभा चुनावों में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वो जनता के फैसले को स्वीकार करते हैं। कांग्रेस के प्रति लोगों के मन में भरोसा हासिल करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी। लेकिन कांग्रेस के कद्दावर नेता शशि थरूर ने कहा कि अब समय आ चुका है जब पार्टी बड़े बदलाव की उम्मीद कर रही है। कांग्रेस को क्षेत्रीय नेताओं को उभरने का मौका देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम हमेशा मंथन ही करते रह जाएंगे और नतीजा सिफर ही रहेगा।
टाली जा सकती थी असम की हार
पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि लोकसभा में नाकामी के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से फरवरी 2015 तक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था। एक साल बीत जाने के बाद भी हम केवल मंथन ही कर रहे हैं। कुछ पुख्ता कदम उठाने की जगह हम एक दूसरे के ऊपर दोष मढ़ रहे हैं। दिग्विजय सिंह के मुताबिक असम में कांग्रेस की हार को रोका जा सकता था। उन्होंने कहा कि हेमंत विश्व शर्मा को पार्टी से बाहर करने का फैसला गलत था। उनके न होने की वजह से पार्टी को 15 से 25 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पार्टी के वरिष्ठ नेता चाहते थे कि गोगोई को मुख्यमंत्री पद का दावेदार न बनाया जाए लेकिन राहुल गांधी उनके सम्मानजनक विदाई के पक्ष में थे।
गोगोई का अति आत्मविश्वास ले डूबा
दिग्विजय सिंह ने कहा कि बोडो कांग्रेस के साथ थे लेकिन वो पार्टी से दूर चले गय़े। वहीं भाजपा ने असम के कद्दावर नेताओं को अपने साथ मिलाया और आदिवासी उम्मीदवार पर भरोसा जताया। उनका ये भी कहना है कि तरुण गोगोई अति आत्मविश्वास में थे और कई रणनीतिक फैसलों पर अपने बेटे पर भरोसा किया। जिसकी वजह से कांग्रेस के स्थापित नेताओं के जोश में कमी आई। स्थापित नेताओं की बेरुखी से कांग्रेस कैडर में जोश भरने वालों में कमी आ गई और पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।
चांडी-सुधीरन की गुटबाजी से मिली हार
केरल में मिली करारी हार पर पार्टी के वरिष्ठ नेता पी सी चाको ने कहा कि केरल में पार्टी की हार के पीछे सिर्फ एंटी इनकंबैंसी ही नहीं थी। सीएम चांडी और पार्टी अध्यक्ष सुधीरन के बीच विवाद की वजह से पार्टी को कई मौकों पर असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। इन दोनों लोगों के बीच विवाद की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति बनी रही जिसका फायदा लेफ्ट फ्रंट ने उठाया और पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा।