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सरकार बनाने की नहीं, दो तिहाई बहुमत की चुनौती

दिल्ली में भाजपा के सामने सरकार बनाने की नहीं, बल्कि दो तिहाई बहुमत हासिल करने की चुनौती है। लोक सभा चुनाव के बाद लगातार चार राज्यों में भाजपा की जीत के शिल्पकार रहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मानते हैं कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने मतदाताओं को घर

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 01 Feb 2015 06:13 AM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 06:52 AM (IST)
सरकार बनाने की नहीं, दो तिहाई बहुमत की चुनौती

राजकिशोर/आशुतोष झा, नई दिल्ली। दिल्ली में भाजपा के सामने सरकार बनाने की नहीं, बल्कि दो तिहाई बहुमत हासिल करने की चुनौती है। लोक सभा चुनाव के बाद लगातार चार राज्यों में भाजपा की जीत के शिल्पकार रहे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मानते हैं कि पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने मतदाताओं को घर से बाहर निकालने की है। हालांकि, उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार के अब तक के कामकाज, संगठन की ताकत और अपने काडर की निष्ठा के भरोसे इस लक्ष्य को सहजता से हासिल करने का भरोसा भी है।

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किरण बेदी के आने से कुछ नेताओं में असंतोष की बात को उन्होंने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हर बात से मुकर जाने वाली शख्सियत करार दिया और कहा कि अब दिल्ली की जनता उन्हें पहचान चुकी है।

दैनिक जागरण को दिए गए विस्तृत साक्षात्कार में भाजपा अध्यक्ष ने दिल्ली की सियासत के साथ-साथ मोदी सरकार की उपलब्धियों और चुनौतियों पर खुलकर बात की। मोदी सरकार के अब तक के प्रदर्शन और लोगों में लोकतंत्र के प्रति जगी आस्था और विश्वास को उन्होंने भाजपा की जीत का प्रमाणपत्र बताया। उन्होंने माना कि दिल्ली में मुकाबला आम आदमी पार्टी से है और वह दूसरे नंबर रहेगी। किरण बेदी को भाजपा का मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने पर शाह ने कहा कि उनका ट्रैक रिकार्ड बेहतर रहा है और पार्टी को इसका फायदा होगा।
किरण बेदी के फार्मूले को अन्य राज्यों में दोहराने को उन्होंने खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि हर चुनाव की अलग स्थिति और रणनीति होती है। बेदी को लाने से पार्टी के नेताओं में नाराजगी की बात को वह खारिज तो नहीं कर सके, लेकिन भरोसा जताया कि भाजपा चुनाव में एकजुट होकर उतरेगी। बाकी नेताओं में शिथिलता को उन्होंने नकारा। हालांकि, यह जरूर माना कि हर चुनाव में पार्टी समर्थकों को घर से निकालना हमेशा चुनौती होती है और पार्टी पूरी मुस्तैदी से इस काम में लगी है।

शाह ने आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के मुद्दे को भी भोथरा करने की कोशिश की और कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा चुनावी नहीं, बल्कि संवेदनशील मुद्दा है। इससे भागने के आरोप को उन्होंने सिरे से नकार दिया और कहा कि यह मुद्दा भाजपा के दृष्टि पत्र में भी हो सकता है। मगर साथ ही जोड़ा कि इस मामले में चुनाव के बाद सभी पक्षों से बातचीत करके किसी हल पर पहुंचा जा सकता है। इस पर सियासत कतई ठीक नहीं है।

केजरीवाल के बिजली-पानी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर शाह ने कहा कि आम आदमी पार्टी की कलई पूरी तरह खुल गई है। केजरीवाल हर बात से पलटे। जो कहा उस पर कभी नहीं टिके और मुकर गए। दिल्ली की जनता इस तथ्य को देख चुकी है। गणतंत्र दिवस समारोह में नहीं बुलाए जाने के विरोध को भी शाह ने आप संयोजक की पलटने वाली प्रवृत्ति से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि वह वीआइपी संस्कृति के विरोधी रहे हैं, तो आम आदमी की तरह परेड देखने तो आ ही सकते थे। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के गणतंत्र दिवस पर आगमन को दिल्ली की चुनावी राजनीति से जोडऩे को उन्होंने हास्यास्पद बताया। हालांकि, यह माना कि सरकार की हर सफलता का फायदा पार्टी को मिलता है। इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है।

पढ़ेंः दिल्ली दंगल बना मोदी बनाम केजरीवाल


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