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कहां 'गायब' हो गए दिल्‍ली के 42 लाख मतदाता ?

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन मतदाता सूची में दर्ज करीब 22 फीसद मतदाता अपने विधानसभा क्षेत्रों से गायब हैं। यह खुलासा एक सामाजिक संस्‍था ने किया है। दिल्ली में एक करोड़ 30 लाख 85 हजार मतदाता हैं।

By T empEdited By: Published: Thu, 29 Jan 2015 10:07 AM (IST)Updated: Thu, 29 Jan 2015 11:24 AM (IST)
कहां 'गायब' हो गए दिल्‍ली के 42 लाख मतदाता ?

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन मतदाता सूची में दर्ज करीब 22 फीसद मतदाता अपने विधानसभा क्षेत्रों से गायब हैं। यह खुलासा एक सामाजिक संस्था ने किया है। दिल्ली में एक करोड़ 30 लाख 85 हजार मतदाता हैं।

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सामाजिक संस्था जनाग्रह सेंटर फॉर सिटीजनशिप एंड डेमोक्रेसी (जेसीसीडी) ने अपने सर्वे के आधार पर दावा किया है कि करीब 42.5 लाख मतदाताओं के नामों को मतदाता सूची से निकाले जाने की आवश्यकता है, क्योंकि ये सूची में दर्ज पते पर नहीं मिले हैं। इस बारे में संस्था ने चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। संस्था का यह सर्वे जनवरी 2015 के मतदाता सूची पर आधारित है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था। आम आदमी पार्टी ने मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार कराने का निर्देश देने की मांग की थी।

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दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में जनाग्रह के संयोजक श्रीकांत विश्वनाथ ने बताया कि संस्था ने दिल्ली के आठ विधानसभा क्षेत्रों में 3210 मतदाता पर सर्वे किया। इसमें 22 फीसद मतदाताओं के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली। संभवत: ये लोग वहां से कहीं और चले गए या उनकी मौत हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि एक फीसद मतदाताओं के नाम दो या तीन जगहों पर मतदाता सूची में दर्ज होने के मामले भी सामने आए हैं। इसी तरह सर्वे में 11 प्रतिशत मतदाताओं के पते गलत दर्ज पाए गए हैं। वहीं सात फीसद मतदाताओं की सूची में दर्ज जानकारियों में गड़बड़ियां पाई गई हैं। सर्वे के मुताबिक, रोहिणी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम नौ फीसद व सबसे अधिक संगम विहार में 33 फीसद मतदाता गायब मिले हैं।

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संस्था ने सर्वे के लिए त्रिनगर, गांधी नगर, ओखला, आरके पुरम, गोकुलपुर, रोहिणी, पालम और संगम विहार विधानसभा क्षेत्रों को चुना था। संस्था के संयोजक सेवानिवृत्त मेजर जनरल केआर प्रसाद ने कहा कि असल में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने पर जोर तो होता है, लेकिन हटाने पर नहीं। अगर ये नाम हट जाएं तो मतदान फीसद में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।

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