स्टिंग ऑपरेशन: महज तीन घंटे में सस्पेंड हुए सात पुलिसकर्मी
दिल्ली पुलिस के खिलाफ हुए एक 'स्टिंग ऑपरेशन' ने केंद्र और दिल्ली सरकार की अदावत को और हवा दे दी है। रुपये लेते कैमरे में कैद किए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ पहले कार्रवाई कौन करेगा इसे लेकर होड़ मची हुई है। मामले में दिल्ली सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी पुलिसकर्मियों
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के खिलाफ हुए एक 'स्टिंग ऑपरेशन' ने केंद्र और दिल्ली सरकार की अदावत को और हवा दे दी है। रुपये लेते कैमरे में कैद किए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ पहले कार्रवाई कौन करेगा इसे लेकर होड़ मची हुई है। मामले में दिल्ली सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपी पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई करने संबंधी आदेश के तत्काल बाद मामले की जांच गृह मंत्रालय के अधीन सीबीआइ को सौंप दी गई है। पुलिस ने भी ऐतिहासिक तेजी दिखाते हुए सभी सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला भी दर्ज कर लिया।
महज तीन घंटे में निलंबन, मुकदमा दर्ज होना और जांच सीबीआइ को सौंपे जाने की यह घटना देश ने पहली बार देखी। दिल्ली पुलिस का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए गृह मंत्रालय से अनुरोध किया गया था। वहीं दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की तेजी पर सवाल उठाए हैं।
मंगलवार रात को एक समाचार चैनल पर थानों में चल रही रिश्वतखोरी का सच दिखाया गया। कांस्टेबल से इंस्पेक्टर स्तर तक कई कर्मचारी कैमरे पर रुपये लेते कैद हो गए। बिना शिकायत दर्ज किए दूसरे पक्ष से रुपये वापस दिलाने के नाम पर अवैध वसूली चल रही थी। विभिन्न थानों में तैनात पुलिसकर्मी खुफिया कैमरे से अनजान बेबाक होकर लेनदेन करते नजर आए। रिश्वत के तौर पर एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक लिए गए। समाचार चैनल पर कार्यक्रम अभी चल ही रहा था कि दिल्ली सरकार ने घटना की जांच के आदेश दे दिए। इसके तत्काल बाद मामले ने सियासी रंग लेना शुरू कर लिया।
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार को लेकर गत दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पुलिस आयुक्त और सीधे गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे पर सवाल उठाए गए थे। मंत्री सोमनाथ प्रकरण में भी सरकार और पुलिस आमने-सामने खड़े हो गए थे। बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार द्वारा मामले की जांच कराए जाने से स्टिंग में फंसे पुलिसकर्मियों की बुधवार को गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। लेकिन गृह मंत्रलय भ्रष्टाचार के खिलाफ इस कार्रवाई का श्रेय किसी भी सूरत में केजरीवाल सरकार को नहीं देना चाहता था। लिहाजा कानूनी दांव पेंच शुरू किए गए। आनन-फानन में दिल्ली पुलिस ने सीबीआइ जांच की सिफारिश की और तत्काल इसे मंजूर भी कर लिया गया। जानकार बताते हैं कि इससे पहले किसी भी मामले में इतनी तेजी नहीं देखी गई। वजह जो भी हो लेकिन आने वाले दिनों में यह मामला केंद्र और दिल्ली सरकार की खटास और बढ़ा सकता है।जिस तरह से पूरा मामला सामने आया और पुलिस द्वारा पुलिस के खिलाफ जांच पर सवाल उठने शुरू हुए उसे देखते हुए सीबीआइ से निष्पक्ष जांच कराने का अनुरोध गृह मंत्रालय से किया गया था। अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है।
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