दिल्ली बोली दिल से, केजरीवाल फिर से
दिल्ली बोले दिल से, केजरीवाल फिर से..आम आदमी पार्टी (आप) का ये चुनावी गाना मंगलवार को हकीकत में बदल गया, जब दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की। 70 सीटों वाली विधानसभा में आप को
नई दिल्ली। दिल्ली बोले दिल से, केजरीवाल फिर से..आम आदमी पार्टी (आप) का ये चुनावी गाना मंगलवार को हकीकत में बदल गया, जब दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस और भाजपा का सूपड़ा साफ करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ जीत दर्ज की। 70 सीटों वाली विधानसभा में आप को 67 सीटें हासिल हुई, जबकि भाजपा मात्र तीन सीटें ही जीत सकी। सबसे बुरा हाल कांग्रेस का रहा, जो दिल्ली में खाता भई नहीं खोल सकी।
2013 के चुनावों में आप को 28, भाजपा को 32 और कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं। इस लिहाज से आप ने न सिर्फ सभी एग्जिट पोल्स को गलत साबित करते हुए ऐतिहासिक जीत हासिल की, बल्कि 14 महीने से चले आ रहे भाजपा और मोदी के विजय रथ पर भी लगाम लगा दी है। हालांकि पीएम मोदी ने इस जीत के लिए केजरीवाल को बधाई दी है। उम्मीद की जा रही है कि केजरीवाल 14 फरवरी को रामलीला मैदान पर शपथ ग्रहण कर सकते हैं। ये भी अजीब संयोग होगा, क्योंकि एक साल पहले 14 फरवरी को ही केजरीवाल ने दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा दिया था।
बेदी, माकन पर भारी केजरीवाल
भाजपा की शर्मनाक हार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसकी सीएम कैंडीडेट किरण बेदी को भी कृष्णा नगर सीट से हार झेलनी पड़ी। वहीं, कांग्रेस के प्रमुख नेता अजय माकन भी चुनाव हार गए। किरण बेदी को आप के एसके बग्गा ने 2269 वोटों से मात दी, जबकि माकन सदर बाजार सीट पर तीसरे पायदान पर रहे। यहां आप के सोम दत्त ने भाजपा के प्रवीण कुमार जैन को 34 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी। उधर, केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट से धमाकेदार जीत हासिल की। उन्होंने भाजपा की नूपुर शर्मा को 31 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी। सिर्फ केजरीवाल ही नहीं, बल्कि मनीष सिसोदिया, राखी बिडला, सोमनाथ भारती, गोपाल राय, अल्का लांबा व नरेश बाल्यान जैसे आप के सभी बड़े लीडर जीत हासिल करने में कामयाब रहे।भाजपा की ओर से जगदीश प्रधान (मुस्तफाबाद), विजेंदर कुमार (रोहिणी) और ओम प्रकाश शर्मा (विश्वास नगर) ही जीत हासिल कर सके।
'आप' ने बनाया इतिहास
आप ने दिल्ली विधानसभा की 90 परसेंट से अधिक सीटों पर जीत हासिल करके रिकॉर्ड भी कायम किया। इससे पहले भारत में ऐसा केवल दो बार हुआ है। एक बार सिक्किम में और दूसरी बार बिहार में। सिक्किम संग्राम परिषद (एसएसपी) ने सभी 32 सीटें जीती थीं, जबकि 2010 के विधानसभा चुनाव में बिहार में 243 सीटों में जदयू-बीजेपी गठबंधन ने 206 सीटें जीती थी। इसके अलावा 1991 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एआईडीएमके और कांग्रेस गठबंधन ने 234 सीटों में से 225 पर जीत दर्ज की थी, जबकि इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 234 में से 221 सीटें जीती थी।
बेदी ने दिए फुल मार्क्स
किरण बेदी ने भी अरविंद केजरीवाल को ट्विटर पर बधाई दी है। उन्होंने लिखा है कि अरविंद को पूरे नंबर मिलते हैं. अब दिल्ली को उन ऊंचाइयों पर ले जाओ, जिसकी यह हकदार है। इसे वर्ल्ड क्लास सिटी बनाओ। दूसरी तरफ, इस करारी हार के बाद दिल्ली भाजपा में बड़े बदलावों की संभावना जताई जा रही है, जबकि कांग्रेस की कैंपेन कमिटी के चीफ अजय माकन ने महासचिव पद से और दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
'अहंकार से बचना होगा'
शानदार जीत के लिए दिल्ली की जनता को सलाम करते हुए आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के सभी लोगों को आगाह किया कि वे इस जनादेश से 'अहंकार' में नहीं आएं वरना पांच साल बाद हमारा वही हश्र होगा जो आज इन चुनावों में कांग्रेस और भाजपा का हुआ है। पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने कमाल कर दिखाया है और मैं उन्हें सलाम करता हूं। हमें जनता की सेवा करनी है, जिन्होंने हमें विशाल जनादेश दिया और इसके लिए हम उनके आभारी हैं। उन्होंने कहा कि जब आप सच्चाई के रास्ते पर हों तो दुनिया की तमाम ताकतें आपकी मदद के लिए आ जाती हैं। यह सच्चाई की जीत है। केजरीवाल ने बधाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह दिल्ली की समस्याओं पर चर्चा के लिए उनसे जल्द ही मिलेंगे।
सीटें घटीं, वोट शेयर नहीं
सीटों के हिसाब से विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही भाजपा के लिए बेहद खराब रहे हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि वोटर उससे छिटके हैं। इस बार भाजपा को 32.2 परसेंट वोट मिले हैं, जो पिछली विधानसभा चुनाव की तुलना में 1 सिर्फ परसेंट कम हैं। 2013 विधानसभा चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 33.03 परसेंट था। इस मामले में असल नुकसान उठाना पड़ा है कांग्रेस को और इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी को पहुंचा है। माना जा रहा है कांग्रेस का वोट बैंक आप की ओर ट्रांसफर हुआ है। इस बार आम आदमी पार्टी ने 54.2 परसेंट वोट हासिल किए हैं, जो पिछले चुनाव में 29.49 परसेंट थे। यानी इस बार आम आदमी पार्टी को 24.71 परसेंट वोटों का फायदा हुआ है, जो सीटों के तौर पर भी नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस की हालत इस मामले में बेहद खराब है। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 24.55 परसेंट वोट मिले थे, लेकिन इस बार उसे 9.7 परसेंट वोट ही मिले। इस तरह से कांग्रेस को 14.85 परसेंट वोटों का नुकसान उठाना पड़ा है। भाजपा को तब नुकसान नजर आता है, जब इस बार के वोट शेयर की तुलना बीते साल हुए लोकसभा चुनाव से की जाए. बीते साल भाजपा को 47 परसेंट, आप को 33 परसेंट और कांग्रेस को 15 परसेंट वोट मिले थे. इस तरह देखें तो लोकसभा चुनाव के मुकाबले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 15 परसेंट कम वोट मिले हैं।
उप राज्यपाल से मुलाकात :
विधायक दल का नेता चुने जाने पर अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग से मुलाकात की। उन्होंने दिल्ली में अपनी सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस दौरान आप नेता मनीष सिसोदिया भी साथ थे। करीब 25 मिनट की मुलाकात के बाद राजनिवास से निकल कर केजरीवाल ने बताया कि अब उप राज्यपाल इस विषय में अपनी रिपोर्ट और सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेजेंगे।
भाजपा को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी :
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष भी लगभग समाप्त हो गया है। विपक्ष के नाम पर भाजपा के महज तीन विधायक होंगे। जाहिर है नियमानुसार पार्टी को विपक्ष के नेता का पद भी नहीं मिलेगा। 70 सदस्यीय विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए किसी दल के पास कम से कम सात विधायक होना जरूरी है। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा कि भाजपा को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी दी जाएगी।
शपथ ग्रहण में मोदी को बुलाएंगे :
दिल्ली की गद्दी से पिछले साल इस्तीफा देने वाले केजरीवाल ठीक एक साल बाद 14 फरवरी को रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। आप के प्रवक्ता आशीष खेतान ने बताया कि शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया जाएगा। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया सहित उनके मंत्रिमंडल में शामिल रहे सभी मंत्री चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं।