तीनों दरिंदों को फांसी
चार लड़कियों में से एक को उठाया गया। उसके साथ इस कदर द¨रदगी की गई कि रोंगटे खड़े हो जाएं। एक असहाय लड़की अपने बचाव में कुछ नहीं कर सकी। उसे तड़पा-तड़पा कर मार डाला गया। ऐसे द¨रदों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इनका एक ही इलाज है कि उन्हें सजा-ए-मौत देकर उनसे छुटकारा पा लिया जाए।
नई दिल्ली। 'अभियुक्तों ने खूंखार जानवर और दरिंदों की तरह इस बर्बरतापूर्ण, अमानवीय और नृशंस अपराध को अंजाम दिया। चार लड़कियों में से एक को उठाया गया। उसके साथ इस कदर द¨रदगी की गई कि रोंगटे खड़े हो जाएं। एक असहाय लड़की अपने बचाव में कुछ नहीं कर सकी। उसे तड़पा-तड़पा कर मार डाला गया। ऐसे द¨रदों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इनका एक ही इलाज है कि उन्हें सजा-ए-मौत देकर उनसे छुटकारा पा लिया जाए।' यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने छावला सामूहिक दुष्कर्म व हत्याकांड के तीनों अभियुक्तों रवि कुमार, राहुल और विनोद को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा पर मुहर लगा दी है।
मालूम हो कि छावला थाना क्षेत्र से नौ फरवरी, 2012 की रात करीब पौने नौ बजे उत्तराखंड की एक 17 वर्षीय लड़की का कार सवार बदमाशों ने उस समय अपहरण कर लिया, जब वह अपनी तीन सहेलियों के साथ घर जा रही थी। कार में रवि, राहुल व विनोद सवार थे। रवि ने इस लड़की को पहले प्रेम संबंधी प्रस्ताव दिया था, जिसे उसने ठुकरा दिया था। इसके बाद रवि ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस अपराध का ताना बाना बुना। अपहरण के बाद कार को हरियाणा स्थित झज्जर की तरफ ले जाया गया जहां अभियुक्तों ने युवती से दुष्कर्म व कुकर्म किया।
युवती के पानी मांगने पर उसके सिर में मटका फोड़ा गया और लोहे की रॉड सिर में मारी गई। युवती को रेलवे लाइन पर भी लिटाया, मगर ट्रेन नहीं आई। इसके बाद लोहे की रॉड मारकर उसकी हत्या कर दी गई। मौत की पुष्टि करने के लिए शव को गर्म लोहे की सलाखों से दागा भी गया। इसके बाद शव को रेलवे लाइन के किनारे फेंक अभियुक्त फरार हो गए थे। निचली अदालत ने तीनों को 19 फरवरी, 2014 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिसे उन्होंने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी।