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कोयला घोटाले में पहला फैसला, जेआईपीएल व निदेशक दोषी करार

राजनीतिक उठापटक का कारण बने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के पहले मामले में सोमवार को अदालत का फैसला आया।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Mon, 28 Mar 2016 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 28 Mar 2016 09:06 PM (IST)

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान राजनीतिक उठापटक का कारण बने कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के पहले मामले में सोमवार को अदालत का फैसला आया। पटियाला हाउस कोर्ट की विशेष सीबीआई अदालत ने झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) और उसके दो निदेशकों आरएस रुंगता और आरसी रुंगता को फर्जीवाड़ा कर झारखंड में कोयला ब्लॉक हासिल करने का दोषी पाया।

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कंपनी के दोनों निदेशक अदालत में ही मौजूद थे। दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। इससे पहले वे जमानत पर बाहर थे। अब 31 मार्च को सजा को लेकर दोनों पक्षों के बीच बहस शुरू होगी। इसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।

कोयला घोटाले में कुल 20 मुकदमे दर्ज हैं। विशेष सीबीआई जज भरत पराशर को केवल कोयला घोटाले से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त किया गया है। न्यायाधीश ने जेआईपीएल कंपनी और उसके निदेशक आरएस रुंगता और आरसी रुंगता को आइपीसी की धारा- 420 (धोखाधड़ी) और 120बी (आपराधिक षड्यंत्र रचना) के तहत दोषी करार दिया। आरसी रुंगता को कागजों में धोखाधड़ी करने से जुड़ी आइपीसी की धारा- 467, 468 व 471 से मुक्त कर दिया। इसी तरह आरएस रुंगता को धारा- 468 व 471 से सुबूतों के अभाव में मुक्त कर दिया गया।

न्यायाधीश ने 132 पेज के अपने आदेश में कहा कि कंपनी ने कोयला मंत्रालय के समक्ष जमीन व कोयला ब्लॉक की क्षमता के संबंध में जानबूझकर गलत दस्तावेजों को प्रस्तुत किया था। इस आधार पर कोयला मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने उसे झारखंड के उत्तरी धंदू में कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिया था। गलत तथ्यों के आधार पर ही तत्कालीन कोयला मंत्री ने भी स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशों पर अपनी मुहर लगा दी थी।

न्यायाधीश ने कहा कि दोषियों की भूमिका को लेकर उनके मन में कोई दो राय नहीं है। कोयला ब्लॉक पाने के लिए की गई साजिश पूरी तरह से स्पष्ट है। दोषी अपने बचाव में ऐसा कोई तर्क प्रस्तुत नहीं कर पाए हैं जिस पर विश्वास किया जा सके। अभियोजन पक्ष पूरी तरह से मामले को साबित कर पाने में सफल रहा है।


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