Move to Jagran APP

सोनिया ही संभाले रहेंगी कांग्रेस की कमान, राहुल अभी तैयार नहीं

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी एक बार फिर टलती दिख रही है। पार्टी के भीतर राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर बढ़ रहे दबाव के बीच संकेत मिले हैं कि वे खुद अभी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में पार्टी संविधान में अध्यक्ष

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2015 06:01 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2015 06:35 AM (IST)

नई दिल्ली, सीतेश द्विवेदी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्ष पद पर ताजपोशी एक बार फिर टलती दिख रही है। पार्टी के भीतर राहुल को अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर बढ़ रहे दबाव के बीच संकेत मिले हैं कि वे खुद अभी भी इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में पार्टी संविधान में अध्यक्ष पद के कार्यकाल को लेकर प्रस्तावित संशोधन के जरिये सोनिया गांधी को तीन साल के कार्यकाल का विस्तार दिया जा सकता है। आठ सितंबर को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति में इस बाबत निर्णय भी लिया जा सकता है।

loksabha election banner

अगले लोकसभा चुनाव से पहले संभाला चाहते कमान

सूत्रों के मुताबिक राहुल पार्टी की कमान अगले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले संभालना चाहते हैं। राहुल व उनकी टीम को लगता है कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थति और पार्टी संगठन की स्थिति दोनों ही इस परिवर्तन के अनुरूप नही हैं। पार्टी की नजर में तेजी से अलोकप्रिय हो रही मोदी सरकार के खिलाफ सोनिया की अगुवाई में राजनीतिक हमले व सरकार के कार्यकाल के अंत में राहुल की अगुवाई पार्टी के लिए बड़ी राजनीतिक कामयाबी का कारण बन सकती है।

जोखिम नहीं उठाना चाहती टीम राहुल

दरअसल राहुल की पदोन्नति को लेकर टीम राहुल चुनावी अंकगणित के भरोसे है। कांग्रेस को बिहार के बाद अगले साल पश्चिम बंगाल, तामिलनाडु, केरल और असम में विधानसभा चुनावों का सामना करना है। इनमें से मौजूदा राजनीतिक स्थिति में पश्चिम बंगाल व तामिलनाडु में वह सीधी लड़ाई से ही बाहर है। जबकि केरल व असम में पार्टी आंतरिक फूट की शिकार है। ऐसे में टीम राहुल की नजर दो साल बाद होने वाले पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के चुनावों पर टिकी है। जहां से उसे जीत के रास्ते पर लौटने की उम्मीद है। वहीं 2018 में जिसे टीम राहुल पार्टी शीर्ष में बदलाव के रूप में देख रही है, पार्टी को चुनावी रूप से अपेक्षाकृत आसान राज्यों हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा व गुजरात में चुनाव लडऩा है। इनमें से ज्यादातर राज्यों में पार्टी सत्ता में या मुख्य विपक्षी दल के रूप में मौजूद है।

संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने की योजना

ऐसे में टीम राहुल नहीं चाहती की आने वाले विधानसभा चुनावों की छाया राहुल के अध्यक्ष पद के करिश्मे को कमजोर करे। वहीं बिहार चुनावों को महज भाजपा को रोकने का मिशन मान रहे राहुल भी उपाध्यक्ष के रूप में अभी संगठन में कुछ और वक्त गुजारना चाहते हैं। राहुल गांधी की कोशिश अगले लोकसभा चुनावों तक पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाने की है। इसके लिए वह शीर्ष में बदलाव से पहले संगठन को मनमुताबिक ढालना चाहते हैं। टीम राहुल का भी मानना है कि पार्टी को राहुल की सोच के हिसाब से ढलने में अभी दो साल का समय लगेगा। टीम राहुल के सदस्य व राहुल की यात्राओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एक नेता के मुताबिक 'महज शीर्ष पर बदलाव होने से जमीनी हकीकत नही बदलने वाली, बेहतर होगा कि बदलाव नीचे से ऊपर जाए।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.