अमित शाह के खिलाफ केस दर्ज, वसुंधरा की आयोग से शिकायत
तीन दिन बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले मतदान की गरमी दिल्ली तक पहुंच गई है। अल्पसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण का आरोप झेल रही कांग्रेस और सपा ने भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह के बहाने भाजपा पर हमला बोल दिया है। एक तरफ जहां शाह की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई है। वहीं, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयानों की शिकायत चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। भाजपा ने शाह के बयान की तुलना अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बयान से करते हुए कहा कि कांग्रेस और सपा केवल वोटबैंक के लिए भेदभाव कर रही है। राज्य में रोजाना भड़काऊ बयान देने वाले कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा और सपा मंत्री आजम खान पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तीन दिन बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले मतदान की गरमी दिल्ली तक पहुंच गई है। अल्पसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण का आरोप झेल रही कांग्रेस और सपा ने भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभारी अमित शाह के बहाने भाजपा पर हमला बोल दिया है। एक तरफ जहां शाह की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई है। वहीं, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बयानों की शिकायत चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। भाजपा ने शाह के बयान की तुलना अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बयान से करते हुए कहा कि कांग्रेस और सपा केवल वोटबैंक के लिए भेदभाव कर रही है। राज्य में रोजाना भड़काऊ बयान देने वाले कांग्रेस नेता बेनी प्रसाद वर्मा और सपा मंत्री आजम खान पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
दो दिन पहले जामा मस्जिद के शाही इमाम और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुलाकात को सांप्रदायिक राजनीति बता रही भाजपा थोड़ी असहज है। हालांकि, भाजपा अमित शाह के पीछे खड़ी है। यह बताने की कोशिश हो रही है कि शाह ने 'बदला लेने' की जो बात कही, वह चुनाव के संदर्भ में थी। उसकी तुलना मसूद के उस बयान से नहीं की जा सकती है, जिसमें धार्मिक आधार पर भड़काने की कोशिश हुई थी। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अमेरिका के चुनाव में ओबामा ने भी कहा था, 'वोट बदला लेने का सबसे अच्छा हथियार है।' शाह ने यही कहा। फिर भी उन्हें घेरने की कोशिश हो रही है। एफआइआर की गई है। भाजपा उससे कानूनी रूप से लड़ेगी, लेकिन जनता को इसकी भी जानकारी होनी चाहिए कि उत्तर प्रदेश में किस तरह आतंकियों को छोड़ा गया। मामला चुनाव आयोग के पास पहुंच चुका है। शाह पर एक मामला बिजनौर और दूसरा मुजफ्फरनगर के शामली में दर्ज कराया गया है। दोनों मामले चुनाव अधिकारियों ने दर्ज कराए हैं। हालांकि, भाजपा ने एफआइआर दर्ज कराने की बात को खारिज करते हुए कहा कि ये प्रमाणित नहीं है। वहीं, कांग्रेस शाह की गिरफ्तारी की मांग कर रही है। मुख्य चुनाव अधिकारी उमेश सिन्हा ने बताया कि बिजनौर के जिला मजिस्ट्रेट ने शाह के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है। बहरहाल, शाह को अपने बचाव का मौका दिया जाएगा। अगर शाह यह साबित करने में सफल रहते हैं कि उन्होंने सिर्फ चुनाव की बात कही थी, तो उन्हें चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है।
कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शाह और वसुंधरा के बयानों ने फिर से साबित कर दिया है कि भाजपा सांप्रदायिक पार्टी है। माना जा रहा है कि आयोग वसुंधरा राजे को भविष्य में सचेत रहने के लिए आगाह कर सकता है। गौरतलब है कि उन्होंने मसूद के बयान का जवाब देते हुए कहा था कि चुनाव के बाद स्थिति का अहसास होगा। हालांकि, उनके समर्थकों का कहना है कि चुनावी राजनीति में उन्होंने बोलचाल की भाषा में सिर्फ जवाब दिया था।
'हमें अपना ध्यान चुनावी मुद्दों पर ही केंद्रित रखना चाहिए और विवादों से बचना चाहिए। माहौल हमारे पक्ष में है। पार्टी समर्थकों ने अगर थोड़ा जोर लगा दिया तो राजग तीन सौ सीटें जीत सकती है।'-अरुण जेटली, नेता भाजपा
'उनका (वसुंधरा राजे) जानबूझ कर दिया गया बयान एक खुली धमकी है। यह अपराध है। मुख्यमंत्री जैसा संवैधानिक पद संभालने वाली वसुंधरा राजे इस तरह से नहीं बोल सकतीं।'-केसी मित्तल, नेता कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ
जामिया, बटला हाउस को आंतकियों का स्वर्ग बता फंसे मल्होत्रा
अलीगढ़। दिल्ली के जामिया नगर व बटला हाउस को आतंकियों की पनाहगाह बताने पर वरिष्ठ भाजपा नेता वीके मल्होत्रा फंस गए। मल्होत्रा पर धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुसवरात ने उन्हें कानूनी नोटिस जारी किया है। संगठन का कहना है कि ऐसे बयानों से लोकसभा चुनाव पूर्व देश में धर्मनिरपेक्ष माहौल को नुकसान पहुंचेगा।
शीर्ष मुस्लिम संस्था द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि मल्होत्रा के बयान से पूरे समाज पर गलत असर पड़ता है। इसकी भरपाई करना भी संभव नहीं होता और पूरा देश ऐसे माहौल की चपेट में आ जाता है। संस्था के साथ अन्य चार संगठनों ने भी इसे गलत बताते हुए कहा कि शांति को खतरे की स्थिति में विकास की बातें पीछे छूट जाती हैं।