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कांग्रेस ने लैंड बिल व किसानों को मुआवजे पर मोदी को घेरा

देश के ज्यादातर राज्यों में राजनीतिक जमीन गंवा चुकी कांग्रेस भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर मीडिया अभियान के भरोसे है। ज्यादातर राज्यों में सत्ता से बाहर होने व संगठन के दयनीय हालत में होने के कारण पार्टी आंदोलन के रास्ते से कतरा रही है। कांग्रेस का प्रयास इन राज्यों की

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2015 12:14 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2015 01:07 AM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश के ज्यादातर राज्यों में राजनीतिक जमीन गंवा चुकी कांग्रेस भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर मीडिया अभियान के भरोसे है। ज्यादातर राज्यों में सत्ता से बाहर होने व संगठन के दयनीय हालत में होने के कारण पार्टी आंदोलन के रास्ते से कतरा रही है। कांग्रेस का प्रयास इन राज्यों की राजधानियों में पत्रकार वार्ताएं आयोजित कर माहौल बनाने का है। पार्टी की योजना हिंदी भाषी राज्यों में रैलियों के आयोजन की भी है। जिसे पार्टी के शीर्ष नेता संबोधित करेंगे।

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पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री ने पार्टी के मीडिया अभियान की शुरुआत कर दी है। पिछले दिनों उन्होंने हैदराबाद, भुवनेश्वर, लखनऊ, चंडीगढ़, पटना व भोपाल में प्रेस वार्ताएं की। जल्द ही पार्टी के दूसरे बड़े नेता राज्यों की राजधानी में भूमि अधिग्रहण की अलख जगाएंगे। पार्टी की कोशिश हर राज्य की राजधानी में कम-से-कम दो प्रेस वार्ता करने की है। जबकि, प्रमुख राज्यों में पार्टी रैलियां भी करेगी। इन रैलियों में किसानों के अन्य मुद्दों के साथ-साथ वर्ष भर तक मनाए जाने वाले अंबेडकर जयंती के कार्यक्रमों को भी समायोजित किया जाएगा।

मुआवजे पर बरसी कांग्रेस

बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों की मदद को लेकर प्रधानमंत्री की नियमों में बदलाव को लेकर की गई घोषणा को कांग्रेस ने 'जुमलेबाजी' बताया है। पार्टी महासचिव व प्रवक्ता सीपी जोशी ने कहा कि किसानों को लेकर प्रधानमंत्री ने शब्दों का जाल बुना है। असल में इससे किसानों का भला होने वाला नहीं।

भूमि अधिग्रहण के बाद अतिवृष्टि से प्रभावित किसानों के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर कांग्रेस ने सरकार पर आंकड़ों की बाजीगरी का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री को निशाने पर लेते हुए पार्टी प्रवक्ता सीपी जोशी ने कहा कि ऐसे समय जब मौसम की मार से 14 राज्यों में 180 लाख हेक्टेयर इलाका प्रभावित हुआ है, प्रधानमंत्री का बयान गुमराह करने वाला है।

उन्होंने कहा कि प्रभावित फसल के क्षेत्रफल को महज पांच एकड़ तक सीमित कर देने से 50 फीसद प्रभावित किसानों तक मदद नहीं पहुंच पाएगी। जबकि, प्रधानमंत्री का यह कहना कि 1 लाख मुआवजा पाने वाले को डेढ़ लाख मिलेगा, गलत है। उन्होंने कहा कि मानकों के मुताबिक ऐसा संभव ही नही है।

गौरतलब है कि सरकार ने किसानों को हुए नुकसान को लेकर घोषणा की थी कि 33 फीसद तक प्रभावित फसल वाले किसानों को भी मुआवजा दिया जाएगा। जबकि इससे पहले यह नियम 50 फीसद प्रभावित फसलों पर ही लागू होता था। केंद्र ने राहत राशि में 50 फीसद की वृद्धि करने की बात भी कही थी।

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