असमंजस में सरकार, जीएसटी पर कांग्रेसी प्रस्ताव से फंसा पेंच
जीएसटी विधेयक पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेतृत्व की बातचीत से कोई फायदा होगा या नहीं यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन विपक्षी पार्टी की सबसे अहम मांग पर सरकार उत्साहित नहीं है।
नई दिल्ली,जागरण ब्यूरो । जीएसटी विधेयक पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेतृत्व की बातचीत से कोई फायदा होगा या नहीं यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन विपक्षी पार्टी की सबसे अहम मांग पर सरकार उत्साहित नहीं है। यह मांग जीएसटी के तहत 18 फीसद की कर सीमा तय करने को लेकर है। केंद्र सरकार ने इसे 20 से 22 फीसद करने का मन बनाया था। सरकार का मानना है कि 18 फीसद की सीमा कई उद्योगों के लिहाज से कम होगा। यह न सिर्फ घरेलू उद्योग में असमानता को बढ़ावा देगा, बल्कि कई उद्योगों पर इसका प्रतिकूल असर भी पड़ेगा।
जीएसटी बिल पारित कराने के लिए गंभीर प्रयास शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह को चाय पर आमंत्रित किया। इस दौरान सरकार ने उन्हें आर्थिक पेंच समझाने की कोशिश की। सूत्रों के अनुसार, मनमोहन कुछ मुद्दों पर सरकार के पक्ष से थोड़े सहमत हैं। लेकिन सोनिया गांधी पार्टी में मशविरे के बाद ही कोई आश्वासन देना चाहती हैं। संभव है कि आने वाले दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच और बैठकों का दौर चले।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, उत्पादक राज्यों पर लगाए जाने वाले एक फीसद अधिभार को हटाने का कांग्रेस का प्रस्ताव स्वीकारा जा सकता है। जीएसटी परिषद में केंद्र व राज्यों के प्रतिनिधित्व पर भी कांग्रेस के सुझाव को शामिल करने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन जीएसटी की दर को शुरू में ही 18 फीसद तय करने से कई तरह के गलत संकेत जाएंगे। इसका सबसे बड़ा असर होगा कि कई तरह के लग्जरी सामान पर स्थानीय कर अभी काफी ज्यादा है, वह काफी कम हो जाएगा। मसलन, कई लग्जरी गाडि़यों पर अभी 30 फीसद की दर से कर लगाया जाता है।
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कांग्रेस का सुझाव मानने का मतलब होगा लग्जरी गाडि़यों पर टैक्स में भारी छूट। इससे पूरे वाहन उद्योग में भारी उथल पुथल हो सकता है। अगर शुल्क घटने से भारी वाहनों मसलन एसयूवी वगैरह की कीमतों में कमी होती है, तो इसके कई अन्य असर भी होंगे। यह सिर्फ उदाहरण है। कई तरह के लग्जरी उत्पादों पर टैक्स इसलिए भी 22 फीसद रखना जरूरी है, ताकि घरेलू उद्योग को विदेशी कंपनियों के मुकाबले संरक्षण मिलता रहे। इनकी दर को बहुत ज्यादा घटाने से घरेलू कंपनियों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक कर की सीमा तय करने का मतलब हुआ कि आगे जब भी किसी खास परिस्थिति में कर बढ़ाने की जरूरत होगी तो उसके लिए संविधान संशोधन करना होगा। मसलन, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सरकार कई बार विशेष कर लगाती है। अभी यह सरकार की तरफ से एक अधिसूचना जारी करने के बाद संभव हो पाता है। लेकिन जीएसटी विधेयक में अगर संविधान संशोधन के जरिये कर की सीमा 18 फीसद कर दी जाती है, तो भविष्य में इसे बढ़ाने के लिए भी इसी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
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राहुल से मिले खड़गे
लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। समझा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच जीएसटी के अलावा संसद से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बीच, टीम राहुल के एक सदस्य ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को चाय पर आमंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का मजाक उड़ाया है। कौशल विद्यार्थी ने ट्वीट किया कि मोदी को विपक्ष के नेताओं से मिलने के लिए 18 महीने, तीन भूमि अधिग्रहण अध्यादेश, बिहार की पराजय और बदहाल अर्थव्यवस्था की जरूरत नहीं थी।