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'आप' के वादों पर रहेगी नजर

नई दिल्ली [राजू सजवान] अब तक दिल्ली की सड़कें कार-मोटर साइकिल चालकों के लिए बनाई जाती थी, लेकिन आम आदमी पार्टी [आप] ने अपने घोषणा पत्र में घोषित वादों को पूरा किया तो दिल्ली की सड़कों पर आम आदमी का अधिकार बढ़ जाएगा। हालांकि, देखना यह है कि आप अपने इस वादे को पूरा कर पाती है या नहीं। आप के घोषणा पत्र में परिवह

By Edited By: Published: Mon, 23 Dec 2013 08:25 AM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2013 04:18 PM (IST)

नई दिल्ली [राजू सजवान] अब तक दिल्ली की सड़कें कार-मोटर साइकिल चालकों के लिए बनाई जाती थी, लेकिन आम आदमी पार्टी [आप] ने अपने घोषणा पत्र में घोषित वादों को पूरा किया तो दिल्ली की सड़कों पर आम आदमी का अधिकार बढ़ जाएगा। हालांकि, देखना यह है कि आप अपने इस वादे को पूरा कर पाती है या नहीं।

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आप के घोषणा पत्र में परिवहन के अध्याय में कहीं भी फ्लाईओवर का जिक्र तक नहीं है, जबकि हर सड़क पर फुटपाथ बनाने और फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त करने का वादा किया गया है। इसके अलावा मेट्रो, बस सेवा के साथ-साथ रिंग रेलवे सेवा के विस्तार का वादा कर सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत करने का वादा किया है।

उल्लेखनीय है कि उपराज्यपाल की अध्यक्षता में बने यूनाइटेड ट्रेफिक एंड ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर [प्लानिंग एंड इंजीनियरिंग] सेंटर [यूटिपैक] भी समय-समय पर बेवजह बनने वाले फ्लाइओवर का विरोध करती रही है। वहीं यूटिपैक भी सड़क पर पैदल चलने को अधिक से अधिक अधिकार और सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत करने की बात की है।

मोनो रेल हो जाएगी गायब :

कांग्रेस सरकार ने शासन के अंतिम दिनों में पूर्वी दिल्ली में मोनो रेल चलाने की योजना बनाई थी, लेकिन आप के घोषणा पत्र में मोनो रेल का जिक्र नहीं है। ऐसे में पूर्वी दिल्ली के लोग मोनो रेल से वंचित हो सकते हैं।

साइकिल-रिक्शा के लिए होगी जगह :

आप का वादा है कि सड़कों पर साइकिलों के लिए अलग जगह होगी। परिवहन विशेषज्ञ सुधीर कपूर कहते हैं कि एकमात्र बीआरटी रोड पर साइकिल-रिक्शा के लिए अलग जगह बनाई गई है, लेकिन इन पर मोटर साइकिल चलती हैं या इस जगह कब्जा हो चुका है। यही नहीं, आप के घोषणा पत्र में बीआरटी का जिक्र नहीं है।

पढ़ें : सरकार बनाते ही आप के क्या होंगे कदम और किन्हें मिलेगा मंत्री पद?

आशंकित हैं बिजली कंपनियां :

आप की सरकार बनते देख बिजली कंपनियां डरी हुई लग रही हैं। यही वजह है कि जहां दो प्रमुख बिजली कंपनियों ने अब तक बिजली दरें बढ़ाने को लेकर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग [डीईआरसी] के समक्ष याचिका दायर नहीं की है, जबकि एक कंपनी ने याचिका दायर तो की है, लेकिन बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव नहीं किया है।

विद्युत अधिनियम के मुताबिक, बिजली कंपनियों को हर साल 31 दिसंबर से पहले नियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर करनी होगी, जिसमें बीते साल के खातों का ब्यौरा और अगले साल होने वाले खर्च का अनुमान होता है। साथ ही, कंपनियां अपनी ओर से प्रस्ताव करती हैं कि बिजली दरों में कितना फीसद वृद्धि की जाए, जिसके चलते उनका अगले साल का खर्च पूरा हो सकता है। इसे वार्षिक राजस्व आवश्यकता [एआरआर] कहा जाता है। इस साल बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड ने एआरआर जमा नहीं कराया है। अब तक बीएसईएस द्वारा यह देखा जा रहा था कि बिजली की दरों को 50 फीसद कम करने का वादा कर चुनाव जीती आप की सरकार बनती है या नहीं। हालांकि, कंपनी अपनी एआरआर लगभग तैयार कर चुकी है।

टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने तो एआरआर जमा करा दिया, लेकिन बीएसईएस की दोनों कंपनियों ने एआरआर जमा नहीं कराया है। टाटा पावर के एआरआर में वृद्धि का प्रस्ताव नहीं है, हालांकि कंपनी ने अपने खातों में राजस्व प्राप्ति और खर्च में अंतर दिखाया है। [पीडी सुधाकर, अध्यक्ष, डीईआरसी]

फुटपाथों से हटे अतिक्रमण :

परिवहन विशेषज्ञ पवन गुप्ता कहते हैं कि यदि आप की सरकार दिल्ली के सभी फुटपाथों से अतिक्रमण हटा दे तो यहां की फिजां ही बदल जाएगी। दिल्ली के लगभग हर फुटपाथ पर यह गाड़ियां खड़ी होती हैं। लेकिन यदि सरकार ने गाड़ियां हटवाने का काम शुरू किया तो लोग सरकार के खिलाफ लामबंद हो जाएंगे। गुप्ता के मुताबिक, कई जगह फ्लाईओवर की जरूरत पड़ती है, इसलिए सरकार को फ्लाईओवर तो बनाने ही होंगे।

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