एकजुट हुए अलगाववादी, नया हड़ताली कैलेंडर जारी, 25 तक बंद बढ़ाया
आठ जुलाई को आतंकी कमांडर बुरहान के मारे जाने के बाद से ही वादी में विधि व्यवस्था का संकट लगातार गहराता जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीरी अलगाववादियों ने बुधवार को 25 जुलाई तक बंद को बढ़ाते हुए नया हड़ताली कैलेंडर जारी किया। साथ ही राजनीतिक दलों के नेताओं से सियासत को त्याग कर कश्मीर में ङ्क्षहदोस्तान के खिलाफ जारी जनांदोलन में शामिल होने की सलाह दी है। गौरतलब है कि आठ जुलाई को आतंकी कमांडर बुरहान के मारे जाने के बाद से ही वादी में विधि व्यवस्था का संकट लगातार गहराता जा रहा है।
विभिन्न खेमों में बंटे अलगाववादी एकजुट होकर कश्मीर में बंद, हड़ताल और भारत विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं। कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी, उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक ने दोपहरबाद संयुक्त बयान जारी कर बंद और हड़ताल को 25 जुलाई तक बढ़ा दिया है।
उन्होंने 21 जुलाई को दोपहर दो बजे तक पूर्ण बंद रखने के बाद देर शाम तक दुकानें खुली रखने को कहा है। 22 जुलाई को कश्मीर दिवस पर बंद रखें। शनिवार 23 जून को बंद रखते हुए मगरिब की नमाज के बाद सभी मस्जिदों में भारत विरोधी नारेबाजी करने, 24 जुलाई को भी बंद व शाम को पूर्ण ब्लैक आउट और 25 जुलाई सोमवार को पूर्ण हड़ताल के साथ 12 दिनों में मारे गए लोगों को श्रद्घांजलि देने व गायबना नमाज ए जनाजा अदा करें। अलगाववादियों ने नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा समेत मुख्यधारा के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मुख्यधारा की सियासत छोड़ कश्मीर की आजादी की तहरीक में शामिल होने के लिए कहा है।
गिलानी, मीरवाइज और मलिक ने कहा कि यह कश्मीरियों की जान और आन का मामला है। कश्मीरियों को भी जीने का अधिकार है। केंद्र सरकार कश्मीरियों को सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की साजिश कर रहा है। कश्मीर में मानवाधिकार हनन हो रहा है। बच्चों, महिलाओं और युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। अब मीडिया भी मरने वालों की गिनती भूल चुका है। हम कश्मीर में आम लोगों पर फायरिंग व उनकी हत्याओं पर रोक के लिए सरकार को अल्टीमेटम देते हैं। वर्ष 2010 में जो उमर अब्दुल्ला ने किया वही अब महबूबा कर रही है। वह कश्मीरियों के कत्ल को नहीं रोक सकतीं। इसलिए उनकी पार्टी के विधायकों को छोड़ कर आम कश्मीरियों के पास आना चाहिए। मौत के सौदेगार, जिनके हाथ हमारे युवाओं और बच्चों के खून से सने हैं, का सहयोग देने से इन्कार करों।
कश्मीर हिंसा: कांग्रेस ने कहा, सुनियोजित कदम उठाएं तो हम सरकार के साथ
कश्मीर हिंसाः सरकार के माफी मांगने के बाद ही शुरू होगा समाचार पत्रों का प्रकाशन