Move to Jagran APP

पीएम ने सीबीआइ को दिखाई हद

कोयला घोटाले की जांच को लेकर सीबीआइ और सरकार के बीच ठन गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नेसीबीआइ को उसकी हद दिखाते हुए बिना ठोस सुबूत के सरकार के नीतिगत फैसलों पर अंगुली उठाने से बचने की नसीहत दी। इसके साथ ही उन्होंने जांच एजेंसी को सरकार के चंगुल से मुक्त किए जाने की संभावना से भी इन्कार कर दिया। वहीं, सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने नीतिगत फैसलों को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया, ताकि उनमें गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं रहे।

By Edited By: Published: Mon, 11 Nov 2013 12:19 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2013 11:25 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोयला घोटाले की जांच को लेकर सीबीआइ और सरकार के बीच ठन गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नेसीबीआइ को उसकी हद दिखाते हुए बिना ठोस सुबूत के सरकार के नीतिगत फैसलों पर अंगुली उठाने से बचने की नसीहत दी। इसके साथ ही उन्होंने जांच एजेंसी को सरकार के चंगुल से मुक्त किए जाने की संभावना से भी इन्कार कर दिया। वहीं, सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने नीतिगत फैसलों को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया, ताकि उनमें गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं रहे।

loksabha election banner

पढ़ें : सरकार ने ली राहत की सांस

हिंडाल्को को कोयला ब्लाक आवंटन मामले में एफआइआर दर्ज करने वाली सीबीआइ को आड़े हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि फैसले में चूक को अपराध नहीं माना जा सकता। प्रधानमंत्री के अनुसार सरकार के भीतर कोई फैसला एक जटिल प्रक्रिया के तहत लिया जाता है। किसी भी पुलिस एजेंसी के लिए बिना ठोस सुबूत के इस प्रक्रिया पर फैसला सुनाना उचित नहीं होगा। उनके अनुसार सरकार के फैसले में गड़बड़ी की आशंका पर सवाल उठाना चाहिए, लेकिन नीतियों के दायरे में बिना किसी गलत भावना के लिए फैसले को अपराध की श्रेणी में शामिल करना ज्यादती है।

मेरे खिलाफ सीबीआइ और आइएम का इस्तेमाल : मोदी

प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि फैसले के पीछे निजी लाभ के ठोस सुबूत के बिना किसी अधिकारी को दंडित नहीं किया जा सकता। फैसला लेने वाले ऐसे ईमानदार अधिकारियों को बचाने के उद्देश्य से सरकार पहले ही भ्रष्टाचार निरोधक कानून (1988) में संशोधन का विधेयक संसद में पेश कर चुकी है। प्रधानमंत्री सीबीआइ के स्वर्ण जयंती उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

इंडियन मुजाहिद्दीन व सीबीआइ से होगा मुकाबला : मोदी

सीबीआइ की स्वायत्तता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भले ही सुनवाई चल रही हो, लेकिन सरकार की मंशा 'तोते' को पिंजड़े से आजाद करने की कतई नहीं है। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया कि सीबीआइ सरकार की प्रशासनिक मशीनरी का एक भाग है और उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सीबीआइ अपनी जांच स्वतंत्र तरीके से करती है और उसमें सरकार का कोई दखल नहीं है। उन्होंने सीबीआइ की आजादी को राजनीतिक रंग दिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। संवेदनशील मामलों की जांच से संबंधित खबरें मीडिया में लीक किए जाने और उन पर होने वाली अनवरत टिप्पणियों पर नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री ने सीबीआइ अधिकारियों को उचित सावधानी बरतने की सलाह दी। उनके अनुसार सीबीआइ को आरटीआइ के दायरे से बाहर करने के पीछे यही सोच थी।

वहीं 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लाकों के आवंटन में घोटाले की जांच करने वाली सीबीआइ ने प्राकृतिक संसाधनों को निजी हाथों में सौंपने की पारदर्शी नीति बनाने पर जोर दिया। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने कहा कि इन संसाधनों के उपयोग की नीति ऐसी बनाई जानी चाहिए, ताकि उसमें गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं रहे। तीन दिन तक चलने वाले समारोह में एक पूरा सत्र 'प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन और भ्रष्टाचार के विस्तार' पर रखा गया है।

'गड़बड़ी के ठोस सुबूत मिले बिना पुलिस एजेंसी के लिए सरकार के नीतिगत निर्णयों पर फैसला सुनाना उचित नहीं।'

--डॉ. मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री

---

'प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की नीति ऐसी हो, जिससे गड़बड़ी की गुंजाइश ही नहीं रहे।'

-रंजीत सिन्हा, सीबीआइ निदेशक

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.