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राज्यपालों को हटाने पर अडिग केंद्र

केंद्र की राजग सरकार संप्रग कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों को हटाने के फैसले से अब पीछे नहीं हटने वाली। राज्यपाल बने कांग्रेस के नेताओं के अड़ने के बाद उन्हें हटाने में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी केंद्र के रास्ते में बड़ी बाधा नहीं बनेगा।

By Edited By: Published: Wed, 18 Jun 2014 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jun 2014 07:00 AM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र की राजग सरकार संप्रग कार्यकाल में नियुक्त राज्यपालों को हटाने के फैसले से अब पीछे नहीं हटने वाली। राज्यपाल बने कांग्रेस के नेताओं के अड़ने के बाद उन्हें हटाने में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी केंद्र के रास्ते में बड़ी बाधा नहीं बनेगा। शायद यही कारण है कि शुरुआती प्रतिरोध के बाद संप्रग सरकार में नियुक्त कुछ राज्यपाल इस्तीफे के लिए तैयार दिखने लगे हैं। कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज और महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकर नारायणन ने इसके साफ संकेत दिए हैं।

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गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद भारद्वाज ने कहा कि उनका सामान पैक हो चुका है और उसमें ज्यादातर दिल्ली भी पहुंच गया है। शंकर नारायणन ने साफ किया कि अगर उच्चस्तर पर इस्तीफा देने के लिए कहा जाता है, तो वे इसके लिए तैयार हैं। हालांकि, कुछ राज्यपालों के अड़ने की आशंका को देखते हुए उन्हें हटाने के वैकल्पिक रास्ते भी तलाशे जा रहे हैं। राजनाथ सिंह की तारीफ करते हुए हंसराज भारद्वाज ने साफ संकेत दिया कि उन्हें इस्तीफा देने से परहेज नहीं है। वह किसी भी वक्त कर्नाटक राजभवन छोड़ने के लिए तैयार हैं। शंकर नारायणन ने इस्तीफा मांगने के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा कि सक्षम प्राधिकार से आदेश आने पर उन्हें राजभवन छोड़ने में कोई परहेज नहीं है। शंकर नारायणन के अनुसार दो दिन पहले गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने फोन कर उन्हें इस्तीफे के लिए कहा था, जो सही तरीका नहीं है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अधिकांश राज्यपाल धीरे-धीरे इस्तीफे के लिए राजी हो जाएंगे।

सूत्रों के मुताबिक शीला दीक्षित जैसे कुछ राज्यपालों के इस्तीफा नहीं देने पर अड़ने की आशंका से इन्कार नहीं कर रहे हैं। ऐसे राज्यपालों को हटाने के लिए वैकल्पिक रणनीति पर काम शुरू हो गया है। तीन राज्यपाल ऐसे हैं, जो सीबीआइ के निशाने पर हैं। इनमें गोवा के राज्यपाल बीवी वांगचू और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन से सीबीआइ हेलीकॉप्टर घोटाले में पूछताछ करना चाहती है, लेकिन संप्रग सरकार के दौरान इसकी इजाजत नहीं दी गई। दिल्ली जल बोर्ड में हुए घोटाले के तीन मामलों की सीबीआइ प्रारंभिक जांच कर रही है। मुख्यमंत्री रहते हुए शीला दीक्षित दिल्ली जल बोर्ड की अध्यक्ष थीं। जाहिर है देर-सबेर सीबीआइ उनसे पूछताछ कर सकती है, लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे होने के कारण उन्हें सीबीआइ की कार्रवाई से रक्षा कवच मिला हुआ है। भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए सीबीआइ को खुली छूट देने के लिए इन राज्यपालों को पद से हटाने का फैसला किया जा सकता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आड़े भी नहीं आएगा।

सूत्रों के अनुसार इसके बावजूद अगर कुछ राज्यपाल इस्तीफा नहीं देने पर अड़ जाते हैं, तो उन्हें पूर्वोत्तर के छोटे राज्यों में स्थानांतरित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला राज्यपालों को मनमाने तरीके से हटाने पर रोक तो लगाता है, लेकिन उनके स्थानांतरण पर नहीं।

पढ़ें: राज्यपालों की रवानगी शुरू, यूपी के बीएल जोशी का इस्तीफा


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