राज्यपालों से पूछताछ पर अड़ी सीबीआइ
सॉलिसिटर जनरल के मना करने के बावजूद सीबीआइ हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन और गोवा के राज्यपाल बीवी वांगचू से पूछताछ पर अड़ गई है। सीबीआइ का कहना है कि राज्यपालों से पूछताछ में कोई कानूनी बाधा नहीं है और सिर्फ एहतिहात के तौर पर सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन से इस बारे में
नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। सॉलिसिटर जनरल के मना करने के बावजूद सीबीआइ हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन और गोवा के राज्यपाल बीवी वांगचू से पूछताछ पर अड़ गई है। सीबीआइ का कहना है कि राज्यपालों से पूछताछ में कोई कानूनी बाधा नहीं है और सिर्फ एहतिहात के तौर पर सॉलिसिटर जनरल मोहन परासरन से इस बारे में राय मांगी गई थी। ध्यान देने की बात है कि परासरन ने सीबीआइ को राज्यपालों से पूछताछ नहीं करने का सुझाव दिया है, भले ही वह गवाह के रूप में ही क्यों न हो।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार 2004-05 में वीवीआइपी हेलीकाप्टर के तय मापदंडों को बदलने वाली बैठकों में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में एमके नारायणन और एसपीजी प्रमुख के रूप में बीवी वांगचू शामिल थे। इसीलिए जांच में इन दोनों का बयान अहम है। उन्होंने कहा कि दोनों से पूछताछ नहीं होने के कारण जांच में देरी हो रही है। आधिकारिक रूप से सॉलिसिटर जनरल की राय मिलने के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।
वैसे सीबीआइ के कुछ अधिकारियों का मानना है कि सोमवार को दिल्ली में नई सरकार के शपथ लेने के बाद सरकार के कानूनी सलाहकारों का बदलना तय है। इसीलिए कुछ दिन इंतजार करने के बाद नए सिरे से कानूनी सलाह मांगी जाए। वहीं दूसरे अधिकारियों का कहना है कि जब कानूनी सलाह की जरूरत ही नहीं है तो फिर जांच में बेवजह देरी करना ठीक नहीं है। उनके अनुसार जांच एजेंसी को सीधे दोनों राज्यपालों से समय मांग कर पूछताछ के लिए टीम भेज देनी चाहिए।
हैरानी की बात यह है कि राज्यपालों से पूछताछ के बारे में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अभी तक सीबीआइ को हरी झंडी नहीं दी है। जांच एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल से पूछताछ की अनुमति मांगे पर राष्ट्रपति कार्यालय से सिर्फ इतनी जानकारी मांगी गई थी कि पूछताछ गवाह के रूप में होनी है या फिर आरोपी के रूप में। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले में साफ कर दिया था कि दोनों राज्यपालों से सिर्फ गवाह के रूप में पूछताछ की जाएगी, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति कार्यालय से कोई जबाव नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि 3600 करोड़ रुपये के 12 वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीद में 360 करोड़ रुपये की दलाली दिए जाने का आरोप है।