JAGRAN IMPACT: सीबीआइ ने दर्ज की सत्येंद्र जैन के खिलाफ प्राथमिकी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने मंगलवार को जैन के खिलाफ 16 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग के मामले में प्राथमिकी (पीई) दर्ज की।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हवाला आपरेटरों की मदद से करोड़ों रुपये कालाधन सफेद करने के आरोपों का सामना कर रहे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने मंगलवार को जैन के खिलाफ 16 करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग के मामले में प्राथमिकी (पीई) दर्ज की। इससे पहले आयकर विभाग बेनामी संपत्ति कानून के तहत जैन की करोड़ों रुपये की चल-अचल संपत्ति अटैच करने का आदेश जारी कर उन्हें तलब कर चुका है।
सीबीआइ ने जैन के खिलाफ यह कार्रवाई आयकर विभाग की संस्तुति पर की है जो पहले ही उनके खिलाफ आयकर कानून तथा बेनामी कानून के तहत कार्रवाई कर रहा है। दरअसल जब किसी व्यक्ति पर कोई आरोप होता है तो सीबीआइ उसकी जांच के लिए पीई दर्ज करती है। जब सीबीआइ को जांच में कुछ ठोस सबूत मिलते हैं तो फिर नियमित मामला दर्ज किया जाता है।
सीबीआइ के सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसी ने जैन और उनके परिवार के सदस्यों के नियंत्रण वाली प्रयास इन्फो सोल्युसंस प्राइवेट लिमिटेड, अकिंचन डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, मंगलायतन प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड और इन्डोमेटल इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए करोड़ों रुपये कालाधन सफेद करने से जुड़ा है। जैन पर जनसेवक के रूप में भी वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान कथित रूप से 4.63 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग का आरोप है।
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गौरतलब है कि दैनिक जागरण पहले ही इस मामले को प्रमुखता से उठा चुका है कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने हवाला ऑपरेटरों के माध्यम से भारी भरकम राशि मनी लांड्रिंग की है।
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इससे पहले आयकर विभाग भी जैन के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। आयकर विभाग की जांच में खुलासा हुआ था कि जैन ने हवाला ऑपरेटरों की मदद से जो कालाधन सफेद किया, उससे उन्होंने दिल्ली में 200 बीघा से अधिक कृषि भूमि खरीदी। विभाग के सूत्रों का कहना है कि जैन ने यह जमीन उनके नियंत्रण वाली कंपनियों के नाम अवैध कालोनियों के पास खरीदी ताकि इनके नियमित होने पर इस जमीन को ऊंची कीमत पर बेचा जा सके। जमीन खरीद पंजीकरण के कागजों पर भी जैन की तस्वीर लगी है।
तकनीकी तौर पर जैन ने मंत्री बनने से पहले इन कंपनियों के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था लेकिन अब भी इन कंपनियों पर उनका और उनके परिवार के सदस्यों का नियंत्रण है। इसके अलावा जैन ने चुनाव आयोग को भी अंधेरे में रखा और अपने चुनावी हलफनामा में भी अपनी चल-अचल संपत्ति के बारे में पूरी सूचना नहीं दी।
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