भारत में तेजी से पैर पसार रहा कैंसर
भारत में कैंसर के मामलों में तेजी आने वाली है। वर्ष 2020 तक ये मामले 30 फीसद बढ़ सकते हैं। चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि इनमें से
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में कैंसर के मामलों में तेजी आने वाली है। वर्ष 2020 तक ये मामले 30 फीसद बढ़ सकते हैं। चिंता बढ़ाने वाली बात यह है कि इनमें से 80 फीसद मामलों का पता तब चलता है, जब वे गंभीर चरण में पहुंच चुके होते हैं। इसे देखते हुए देश के शीर्ष कैंसर विशेषज्ञों ने सरकार से इस जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए तत्काल सख्त कदम उठाने की मांग की है। इसमें तंबाकू उत्पादों के उपयोग को सीमित करने के उपाय प्रमुख हैं।
भारत में लगातार बढ़ रहे कैंसर के मामलों को ध्यान में रखते हुए देश के शीर्ष संस्थानों के विशेषज्ञों ने शनिवार को इस पर सरकार को कुछ सुझाव सौंपे हैं। एम्स के मेडिकल आंकोलोजी के प्रमुख प्रोफेसर ललित कुमार कहते हैं कि 2020 तक देश में कैंसर के मामलों में 30 फीसद वृद्धि की आशंका है। यह देश के स्वास्थ्य ढांचे पर गंभीर बोझ होगा। इस समय देश में सिर्फ 20 फीसद मामले ही कैंसर के पहले और दूसरे चरण में पता चल रहे हैं। 80 फीसदी मामलों का पता तब चलता है, जबकि वे तीसरे या चौथे चरण में पहुंच चुके होते हैं। पहले और दूसरे चरण में जहां मरीज को लंबे समय तक बचाए जाने की उम्मीद 80 फीसद होती है, वहीं बाद के चरण में इलाज शुरू होने पर उसे बचा पाने की उम्मीद महज 20 फीसदी रह जाती है।
एम्स के तहत आने वाले अंबेडकर कैंसर अस्पताल के प्रमुख डा. जीके रथ कहते हैं कि सरकार को तंबाकू उत्पादों के सेवन को घटाने और लोगों में कैंसर के बारे में जागरुकता लाने जैसे कदम तुरंत उठाने चाहिएं। विशेषज्ञों ने सरकार को जो सुझाव भेजे हैं, उनमें यह भी कहा गया है कि कैंसर को टीबी की ही तरह नोटिफाइड बीमारी घोषित किया जाए। ऐसा करने पर इसके हर मरीज के बारे में संबंधित डाक्टर या अस्पताल को सरकार को सूचना देनी होगी। अभी सिर्फ दस फीसद मरीजों की ही सूचना सरकार को मिल पाती है। इसलिए देश में कैंसर मरीजों की जमीनी हालत का पता ही नहीं चल पा रहा।
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