जलाने की बजाए दफनाया गया जयललिता का पार्थिव शरीर, ये है वजह
पार्टी आलाकमान ने तय किया कि जयललिता के शव को पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामाचंद्रन की ही तरह दफनाया जाएगा।
चेन्नई, (जेएनएन)। तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता का दिल का दौरा पड़ने के कारण सोमवार रात निधन हो गया। एमजी मेमोरियल में मरीना बीच पर जयललिता के शव को दफनाया गया। हालांकि, हिंदू होने के नाते उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाजों से किया जाना था। लेकिन, बताया जा रहा है कि जयललिता के अंतिम संस्कार को लेकर एआईएडीएमके नेताओं में भ्रम की स्थिति थी। जिसके बाद पार्टी के उच्च पदाधिकारियों ने तय किया कि जयललिता के शव को पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामाचंद्रन की ही तरह दफनाया जाएगा।
इस मामले में अंतिम संस्कानर की प्रक्रिया से जुड़े लोगों का कहना है कि वह इसे द्रविड़ आंदोलन की पृष्ठमभूमि से जोड़कर देखते हैं। उनके मुताबिक द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता मसलन पेरियार, अन्नाादुरई और एमजी रामचंद्रन जैसी शख्सियतों को दफनाया गया था। इस लिहाज से दाह-संस्का्र की कोई मिसाल नहीं हैं। इन वजहों से चंदन और गुलाब जल के साथ दफनाया जाता है।
उनके शव को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जेसीबी मशीन द्वारा गड्ढा भी खोदा गया है।
इसलिए इसी विधि के साथ जयललिता को दफनाया गया। जयललिता के संबंध में भी यही तर्क दिया गया कि वह किसी जाति और धार्मिक पहचान से परे थीं। इसके अलावा एक बड़ी वजह यह है कि इस तरह के बड़े नेताओं को दफनाए जाने के बाद समाधि बनाए जाने का चलन है। इससे समर्थकों को स्मृ ति के रूप में एक स्मादरक के रूप में अपने नेताओं को याद रखने में सहायता मिलती है।
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