Move to Jagran APP

सूझबूझ से आर्मी अफसरों की बहादुर पत्नियों ने टाला नगरोटा बंधक संकट

आतंकवादी दो बिल्डिंग्स में घुसे जिसमें सैनिकों के परिवार रहते हैं। इससे 'बंधक सकंट' जैसे हालात बन गए।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 30 Nov 2016 04:30 AM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2016 09:49 AM (IST)
सूझबूझ से आर्मी अफसरों की बहादुर पत्नियों ने टाला नगरोटा बंधक संकट

नगरोटा, प्रेट्र। जम्मू के नजदीक नगरोटा में मंगलवार को आतंकियों से एनकाउंटर के दरौन दो सैन्य अफसर जिनका परिवार वहां के क्वार्टर में रहता था उनकी बहादुर पत्नियों की समझदारी के चलते बहुत बड़े बंधक संकट को टालने में मदद मिली।

loksabha election banner

जैसे ही हथियारों से लैस पुलिस की वर्दी में आतंकियों ने 16 हेडकॉर्प्स से करीब तीन किलोमीटर की दूरी पर बनी आर्मी यूनिट में प्रवेश किया, उसके बाद आतंकी सबसे पहले वहां फैमिली हेडक्वार्टर में घुसना चाहते थे। ताकि, वह वहां पर सैनिकों और अपसरों के परिवारों को बंधक बना सके। हालांकि, अपने दो नवजात बच्चों को लेकर रह रही दो सैन्य अफसरों की पत्नियों के चलते वह अपने इस नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं रह पाए। अगर वह अपने प्लान में कामयाब रहते तो बड़ी क्षति हो सकती थी।

पढ़ें- कश्मीर : नगरोटा अौर सांबा में मुठभेड़, 7 जवान शहीद, सात आतंकी ढेर

एक आर्मी अफसर ने बताया, 'दो आर्मी अफसरों की पत्नियों ने साहस दिखाते हुए घर के कुछ सामानों की मदद से अपने क्वार्टर की एंट्री को ब्लॉक कर दिया, जिससे आतंकवादियों के लिए घर में दाखिल होना मुश्किल हो गया।' अफसर ने बताया, 'अगर इन महिलाओं ने मुस्तैदी न दिखाई होती, तो आतंकवादी उन्हें बंधक बनाने में सफल हो जाते और सेना को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते थे।'

सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष मेहता ने कहा, 'आतंकवादी दो बिल्डिंग्स में घुसे जिसमें सैनिकों के परिवार रहते हैं। इससे 'बंधक सकंट' जैसे हालात बन गए। इसके बाद सेना ने फौरन कार्रवाई करते हुए वहां से 12 सैनिकों, दो महिलाओं और दो बच्चों को सफलतापूर्वक बाहर निकाल लिया।' अधिकारी ने बताया कि जिन दो बच्चों को बचाया गया है उनकी उम्र महज 18 महीने और दो महीने की है।

पढ़ें- दो जगह आतंकी हमले के बाद कटरा में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.