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देश में मौतों का सबसे बड़ा कारण बीपी, डायबिटीज, स्‍मोकिंग

लेंसेट की ओर से किए गए अध्‍ययन में पता चला है कि हाई ब्‍लड प्रेशर, हाई ब्‍लड शुगर, स्‍मोकिंग और प्रदूषण देश में मौतों का सर्वाधिक बड़ा कारण है। यह आंकड़ा कुपोषण और अन्‍य ट्रॉपिकल बीमारियों से होने वाली मौतों से अधिक है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2015 01:33 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2015 01:37 PM (IST)

नई दिल्ली। लेंसेट की ओर से किए गए अध्ययन में पता चला है कि हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, स्मोकिंग और प्रदूषण देश में मौतों का सर्वाधिक बड़ा कारण है। यह आंकड़ा कुपोषण और अन्य ट्रॉपिकल बीमारियों से होने वाली मौतों से अधिक है।

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अध्ययन में पिछले एक दशक में स्वास्थ कारणों से जुड़ी मौतों की बढ़ती संख्या के कारणों को शामिल किया गया था। वर्ष 1990 से 2013 के बीच हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल के कारण होने वाली मौतों की संख्या दोगुने से अधिक का इजाफा हुआ है। वहीं, प्रदूषण के कारण इस समयावधि में होने वाली मौतों की संख्या में 60 फीसद का इजाफा हुआ है।

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एल्कोहल के कारण होने वाली मौतों में करीब 97 फीसद का इजाफा हुआ है। यह जानकारी 79 रिस्क फैक्टर के विश्लेषण से जमा किए गए डाटा से मिली है। अध्ययन को भारत के पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रतिनिधियों और यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा किया गया था।

वर्ष 1990 में बच्चों में कुपोषण की समस्या बससे अधिक स्वास्थ संबंधी खतरे में शीर्ष पर था, जिसके कारण 8.97 लाख मौतें भारत में होती थीं। हालांकि, अध्ययन में बताया गया है कि यह देश में शीर्ष 10 स्वास्थ्य खतरों में शामिल नहीं है। वहीं, दूसरी ओर हाई ब्लड प्रेशर के कारण वर्ष 1990 में 76 लाख लोगों की मौत हुई थी। मगर, वर्ष 2013 तक इससे होने वाली मौतों की संख्या में 106 फीसद का इजाफा हो गया।

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अध्ययन के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर और इनडोर पॉल्यूशन के कारण देश में वर्ष 2013 में 33 लाख प्रीमैच्योर मौतें हुईं। देश में स्वास्थ्य के नुकसान के अन्य बड़े कारकों में असुरक्षित जल के स्रोत और तम्बाकू का उपयोग शामिल हैं। स्वास्थ्य के नुकसान में बाल और मातृ कुपोषण में वर्ष 1990 के बाद से काफी कमी दर्ज की गई है। हालांकि, ये अभी भी भारत में स्वास्थ्य के नुकसान के लिए पर्याप्त योगदान कर रहे हैं।


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