चुनावी राज्यों में भाजपा के बाहरी नेताओं की तैनात नहीं होगी फौज
पंजाब और गोवा के लिए भाजपा बुधवार को उम्मीदवारों की घोषणा करेगी। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के प्रत्याशियों का चयन मकर संक्रांति के बाद होगा।
नई दिल्ली [आशुतोष झा]। बिहार विधानसभा चुनाव से परे उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में भाजपा की रणनीति यूं तो कई मायनों में अलग होगी। एक बात साफ साफ दिखेगी। नीचे से लेकर उपर तक चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी मुख्यत: स्थानीय नेताओं के हाथ होगी। बाहरी नेताओं व कार्यकर्ताओं में केवल उन्हें ही शामिल किया जाएगा जो पहले से कार्यरत हैं या फिर उक्त राज्य को लेकर विशेषज्ञता या खास पहचान रखते हैं।
पंजाब और गोवा के लिए भाजपा बुधवार को उम्मीदवारों की घोषणा करेगी। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के प्रत्याशियों का चयन मकर संक्रांति के बाद होगा। इससे पहले भी टिकटों के लिए दिल्ली में भीड़ लगा रहे कार्यकर्ताओं व नेताओं को जमीन पर जाकर काम करने की सलाह दी गई है। चुनावी घोषणापत्र को लेकर भी विचार अंतिम दौर में है।
इस बीच यह निर्णय हो गया है कि प्रदेश से बाहर के लोगों को दूर ही रखा जाए। बताते हैं कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद संगठन महासचिव रामलाल की अध्यक्षता में कुछ नेताओं की बैठक हुई थी। चुनाव पर चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हर किसी के सहयोग की बात हुई तो यह भी स्पष्ट किया गया कि चुनावी राज्यों में बाहरी लोगों की भीड़ नहीं दिखनी चाहिए।
इसके कई कारण हैं और सबसे बड़ा कारण इन राज्यों की संवेदनशीलता है। गौरतलब है कि बिहार में स्थानीय नेताओं की बजाय पूरी जिम्मेदारी दूसरे राज्यों के नेताओं के हाथ थी। इसके लेकर प्रदेश इकाई में जहां थोड़ा क्षोभ भी दिखा था। वहीं विपक्षी दल भी इसे मुद्दा बनाने से नहीं चूके थे। उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्यों में यह एक अन्य कारण से भी नहीं दोहराया जाएगा।
दरअसल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह खुद यहां के प्रभारी रह चुके हैं। वह प्रदेश के नब्ज को भी जानते हैं और हर जिले कस्बे और अहम व्यक्तियों की क्षमता और अक्षमता से वाकिफ हैं। उन्हें इसका व्यक्तिगत अनुभव है कि कहां किसे क्या काम सौंपा जा सकता है। जो पहले से संबंधित राज्यों में काम कर रहे हैं या विशेषज्ञता रखते हैं उन्हें चुनावी कामकाज से नहीं हटाया जाएगा। यह फार्मूला सभी चुनावी राज्यों के लिए है।
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