पूर्वोत्तर की जैव-विविधता से अब परिचित होगी पूरी दुनिया
डॉ हर्षवर्द्धन ने बताया कि पिछले तीन सालों में नार्थ-ईस्ट में उनके मंत्रालय ने दिए गए बजट का लगभग शत-प्रतिशत इस्तेमाल किया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। उत्तर पूर्व की जैव-विविधता से अब पूरी दुनिया परिचित होगी। केंद्र सरकार ने इसके संरक्षण और खोज के लिए एक व्यापक अभियान शुरु किया है, इसके तहत इस क्षेत्र में पाई जाने वाली वनस्पतियों के औषधीय गुणों का पता लगाया जाएगा, साथ ही जिन वनस्पतियों के गुणों के बारे में पहले से जानकारी है, उन्हें संरक्षित कर बड़े पैमाने पर उगाने की पहल होगी।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन ने बुधवार को पूर्वोत्तर को लेकर उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि प्राकृतिक संपदा से भरे इस क्षेत्र की एक बड़ी पहचान यहां पाई जाने वाली दुर्लभ वनस्पतियां है, जो औषधीय गुणों से युक्त है। इनमें से कई ऐसी वनस्पतियां है, जिनके बारे में लोगों को ज्यादा पता नहीं है।
अभियान में ब्रह्मपुत्र नदी को भी शामिल किया है, जो जैव-विविधता के मामले में दुनिया में सबसे ज्यादा समृद्ध मानी जाती है। यही वजह है कि इसके अध्ययन के लिए कुछ अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं से युक्त कुछ नावें तैयार की जा रही है, जो नदी के किनारों पर पाए जाने वाले औषधियों पौधों का पता लगाएगी। इसे बी-4(ब्रह्मपुत्र बायोडायवर्सिटी बायोलाजी बोट) नाम दिया गया है।
एक सवाल के जबाव में डॉ हर्षवर्द्धन ने बताया कि पिछले तीन सालों में नार्थ-ईस्ट में उनके मंत्रालय ने दिए गए बजट का लगभग शत-प्रतिशत इस्तेमाल किया है। इस साल भी आवंटित किए गए 180 करोड़ में से अब तक 120 करोड़ रुपए खर्च हो चुके है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस सभी प्रोजेक्ट पर नार्थ-ईस्ट क्षेत्र विकास मंत्रालय भी पूरी नजर रखे हुए है।
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