लंबी प्लानिंग का नतीजा है अमरनाथ यात्रियों पर अातंकी हमला
खुफिया एजेंसियों को शक है कि अमरनाथ यात्रियों पर हमले की प्लानिंग काफी पहले सी की गयी है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अमरनाथ तीर्थ यात्रियों से भरी बस पर आतंकियों के हमले ने भारतीय सुरक्षा ढांचे की उस खामी को फिर से उजागर किया है जिसका इलाज अभी तक नहीं निकाला जा सका है। यह खामी है पूर्व में मिली सूचनाओं व चेतावनियों को नजरअंदाज करना। पहले उधमपुर फिर पठानकोट और अब अमरनाथ यात्रियों पर हमले को लेकर खुफिया एजेंसियों ने पहले ही सूचना दे दी थी।
कई स्तरों पर इन चेतावनियों पर चर्चा भी हुई लेकिन फिर भी आतंकी अपने मंसूबे में सफल हो गये हैं। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का पूरा शक है कि सोमवार को जम्मू-श्रीनगर हाइवे के जिस हिस्से पर आतंकियों ने हमला किया है वह उनकी पुरानी व लंबी प्लानिंग का नतीजा है।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हमला जिस स्थान पर, जिस समय और जिस तरह से किया गया है वह आतंकियों की योजना को बताता है। हो सकता है कि आतंकियों ने वर्षो अमरनाथ यात्रा पर नजर रखा हो और इस वर्ष हमले की घटना को अंजाम दिया हो। जिस तरह से आतंकियों ने गुजरात व महाराष्ट्र के यात्रियों से भरी बस को निशाने पर लिया है वह साफ तौर पर बताता है कि उनकी नजर अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू में बनाये गये बेस कैम्प से लेकर श्रीनगर तक की 294 किलोमीटर लंबी हाईवे पर थी और वे तमाम सुरक्षा इंतजामों से वाकिफ थे।
आतंकियों ने भारी सुरक्षा सैनिकों की आड़ में जाने वाले जत्थे के निकल जाने का इंतजार किया है। इस जत्थे में सरकार के पास पंजीयन कराये गये वाहनों का काफिला होता है। इसके निकलने से पहले सैन्य बल पूरे रास्ते की छानबीन करते हैं। काफिले के निकलने के बाद सुरक्षा इंतजाम में लगे बलों में थोड़ी सुस्ती भी आ जाती है और तब तक पूरा अंधेरा भी घिर जाता है। यही नहीं आतंकियों ने उस जगह (अनंतनाग के पास बटेंगू) को हमले के लिए चुना जहां से उनके लिए हमला करके भाग जाना आसान था।
केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले खुफिया ब्यूरो का कहना है कि उसने यात्रा शुरु होने से पहले ही इस बात की सूचना जारी की थी कि 50 से 100 यात्रियों पर हमले की प्लानिंग की खबरें उन्हें मिली हैं। लेकिन सुरक्षा इंतजामात से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह एक सामान्य चेतावनी की तरह थी जिसके आधार पर सुरक्षा इंतजाम को मजबूत बनाया गया था। इस तरह के हमले की सूचना पिछले कुछ वर्षो से खुफिया एजेंसियां लगातार दे रही थी लेकिन वर्ष 2003 के बाद तीर्थयात्रियों पर हमले की कोई घटना नहीं हुई थी।
एक तरह से यह मान लिया गया था कि चूंकि लाखों कश्मीरियों का जीविकोपार्जन इस यात्रा से होता है इसलिए आतंकी इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करेंगे। गृह मंत्रालय ने भी दावा किया था कि इस बार सुरक्षा इंतजाम ऐतिहासिक हैं। सनद रहे कि हर साल अमरनाथ यात्रियों को सुरक्षा देना सरकार की एक बड़ी चुनौती होती है। अमरनाथ यात्रियों पर सबसे बड़ा हमला वर्ष 2000 में हुआ था जब 35 लोगों की हत्या आतंकियों ने किये थे।
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