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बुरहान के पिता के नापाक बोल, उड़ी हमले में पाक का हाथ होने से किया इनकार

कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के पिता का कहना है कि उड़ी हमले में पाकिस्तान का नहीं बल्कि कश्मीरी आतंकियों का हाथ हो सकता है।

By kishor joshiEdited By: Published: Mon, 26 Sep 2016 07:43 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2016 08:53 AM (IST)
बुरहान के पिता के नापाक बोल, उड़ी हमले में पाक का हाथ होने से किया इनकार

नई दिल्ली। आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के मारे गए कंमाडर बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी ने उड़ी में सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इंकार किया है। उड़ी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से संबंधित एक सवाल के जवाब में मुजफ्फर वानी ने कहा, "इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ कैसे हो सकता है, जो भी आतंकी बनने के बाद कश्मीर में आता है वह कश्मीरी है, यहां तक हिंदुस्तान का कोई भी मुस्लिम यहां आ सकता है, यह कश्मीरी आतंकी द्वारा किया गया हमला भी हो सकता है।"

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मुजफ्फर वानी का कहना है, "कश्मीर समस्या का सामाधान होना जरूरी है, वरना इस तरह के हमले और भी हो सकते हैं। हम नहीं जानते कि ये आतंकी कहां से आ रहे हैं क्योंकि सीमाओं पर तो भारतीय सैन्य बलों तैनात हैं। भारतीय सेना क्या कर रही है? कैसे आतंकी बार्डर से पंपोर तक पहुंच रहे हैं? यदि जैश के खिलाफ कोई सबूत हैं तब उसकी जांच होनी चाहिए।"

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एक स्कूल में प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत मुजफ्फर वानी का मानना है कि उड़ी हमले में पाकिस्तान का हाथ नहीं हो सकता है। अंग्रेजी अखबार को दिए गए इस इंटरव्यू में मुजफ्फर वानी ने बताया "हुरियत ने कोई बंद नहीं बुलाया था। हमने नहीं सोचा था कि घाटी में बंद इस तरह हिंसक हो जाएगा, हमने इन दो महीनों के दौरान काफी कुछ खोया है। हम समाधान चाहते हैं।"

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यूएन में नवाज शरीफ के भाषण से सहमत

यूएन में नवाज शरीफ द्वारा दिए गए भाषण के संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए मुजफ्फर वानी ने कहा, "जब भगत सिंह अंग्रेजों से लड़ाई लड़ रहे थे तो उन्होंने उसे आतंकी कहा, लेकिन भारतीय लगातार उसे स्वतंत्रता सेनानी कहते रहे। जब कश्मीर समस्या का सामाधान हो जाएगा तो तब भारत को महसूस होगा कि वह स्वतंत्रता सेनानी था। नवाज शरीफ ने जो भी कहा मैं उनकी हर बात से सहमत हूं। बुरहान वानी की हत्या से आजादी के आंदोलन को फिर से नई दिशा मिली है।"

मुजफ्फर वानी ने बताया, "5 अक्टूबर, 2010 को बुरहान ने घर छोड़ दिया था। उसने अपनी मां को बताया कि वह अपने कुछ दोस्तों से मिलने जा रहा है, लेकिन वह लौट के नहीं आया। बाद में हमें पता चला कि वो आतंकी संगठन में शामिल हो गया है। एनकाउंटर से दो महीने पहले में उसे समझाने की भरसक कोशिश की थी, लेकिन वह नहीं मान। वह 1994 में पैदा हुआ था. इसलिए उसने अपने बचपन में घाटी में सबसे अधिक ज्यादा अस्थिरता देखी थी, ऐसे में उसका वह दर्द महसूस करना स्वाभिक था।"

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सेना में भर्ती होना चाहता था बुरहान

मुजफ्फर वानी ने कहा कि बुरहान भी पहले भारतीय सेना में भर्ती होना चाहता था। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए मुजफ्फर वानी ने कहा कि जब वह 10 साल का था तो सेना में जाना चाहता था और परवेज रसूल की तरह क्रिकेट खेलता था। मुजफ्फर वानी ने बताया, "जब वह दस साल का था तो उसके गांव में आतंकियों को ढूढने के लिए सेना सर्च अभियान चला रही थी और उसने एक भारतीय सेना के अधिकारी को बताया कि वह आर्मी में भर्ती होना चाहता है। बुरहान को सेना की वर्दी बहुत पंसद थी, उसे क्रिकेट भी पसंद था और वह भारत के लिए खेलना चाहता था, ना कि पाकिस्तान के लिए।"


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