पुलिस ने माना आशुतोष महाराज की मौत प्राकृतिक
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल (जालंधर) के संस्थापक आशुतोष महाराज के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कोई जरूरत नहीं है। महाराज की मृत्यु संदेहजनक स्थितियों में नहीं हुई है। यह जानकारी नकोदर के डीएसपी कुलविंदर सिंह बीसला ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर दी है। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया है कि आशुतोष महाराज के शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता। इससे न सिर्फ उनके शरीर को हानि पहुंचेगी, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था भी आहत होगी। यह भी बताया गया है कि आशुतोष महाराज के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। पूरी संपत्ति संस्थान के नाम पर है। हलफनामे में साफ कहा गया है कि याचिकाकर्ता पूर्ण सिंह जिसने महाराज के शरीर का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की है वह पहले भी संस्थान के खिलाफ शिकायतें करता रहा है। लिहाजा इस याचिका को खारिज किया जाए।
चंडीगढ़ [जासं]। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान नूरमहल (जालंधर) के संस्थापक आशुतोष महाराज के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कोई जरूरत नहीं है। महाराज की मृत्यु संदेहजनक स्थितियों में नहीं हुई है। यह जानकारी नकोदर के डीएसपी कुलविंदर सिंह बीसला ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर दी है। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया है कि आशुतोष महाराज के शरीर का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सकता। इससे न सिर्फ उनके शरीर को हानि पहुंचेगी, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था भी आहत होगी। यह भी बताया गया है कि आशुतोष महाराज के नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। पूरी संपत्ति संस्थान के नाम पर है। हलफनामे में साफ कहा गया है कि याचिकाकर्ता पूर्ण सिंह जिसने महाराज के शरीर का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की है वह पहले भी संस्थान के खिलाफ शिकायतें करता रहा है। लिहाजा इस याचिका को खारिज किया जाए।
जस्टिस रेखा मित्तल ने इस जानकारी के बाद मामले पर बहस के लिए अगली सुनवाई 27 मई तक स्थगित कर दी। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से इस मामले में जवाब मांगा था। इस मामले में पूर्ण सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आशुतोष महाराज के शरीर का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की थी और साथ ही उसने इस मामले की सीबीआइ या अन्य किसी भी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने की भी मांग की थी।
संस्थान की ओर से बार-बार यह कहा जा रहा है कि महाराज गहन समाधि में हैं और वह पहले भी ऐसी अवस्था में जाते रहे हैं। उनका कहना था कि महाराज मरे नहीं हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान योग विज्ञान जैसी चीजों को नहीं समझता। संस्थान का पूर्व ड्राइवर होने का दावा करने वाले पूर्ण सिंह ने आरोप लगाया था कि अनुयायी शव को नहीं छोड़ रहे हैं, क्योंकि वे संपत्ति में हिस्सेदारी चाह रहे हैं। पूर्ण सिंह ने अप्राकृतिक मौत का अंदेशा जताया था।
महराज का शव अब भी फ्रीजर में
चिकित्सकों ने 29 जनवरी को आशुतोष महाराज को मृत घोषित कर दिया था। इसके एक सप्ताह बाद जालंधर के नूरमहल स्थित डेरे में उनके कमरे में ही शव को फ्रीजर में रख दिया गया जो आज भी उसी स्थिति में रखा हुआ है।
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