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उड़ी अटैक के पीछे घर का भेदी, जानिए कौन

देश को रूला देने वाले उड़ी अटैक के पीछे अपने ही देश का कोई गद्दार हो सकता है। NIA को शक ही कि किसी अपने ने ही इस हमले में भूमिका निभाई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2016 04:05 AM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2016 10:05 AM (IST)
उड़ी अटैक के पीछे घर का भेदी, जानिए कौन

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सेना मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में 18 सैनिकों के शहीद होने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इसकी छानबीन शुरू कर दी है। एक अंग्रेजी अखबार की मानें तो सेना को शक है कि इस हमले के पीछे अंदर का ही कोई भेदिया यानी गद्दार आतंकियों से मिला हुआ हो सकता है।

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अखबार के मुताबिक आतंकियों को ये तक पता था कि कैम्प के अंदर ब्रिगेड कमांडर का दफ्तर और निवास किस जगह पर स्थित है। सेना इस बात की भी जांच कर रही है कि आतंकी कैसे नियंत्रण रेखा (एलओसी) सुखदर से होते हुए उड़ी पहुंचे। करीब 500 आबादी वाला सुखदर गांव ब्रिगेड मुख्यालय से महज चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसा माना जा रहा है कि गांव और ब्रिगेड मुख्यालय के बीच स्थित जंगल की वजह से आंतकियों को आसानी रही होगी।

आतंकियों ने जिस प्रकार के घातक हमले को अंजाम दिया है उससे प्रतीत होता है कि उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की मदद मिली थी, जिसे न केवल इस इलाके की बल्कि सैन्य टुकड़ियों की आवाजाही के बारे में भी पूरी जानकारी थी।

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त्रिस्तरीय सुरक्षा बेड़े को पार कर आए थे आतंकी

आतंकियों ने पहले एलओसी पर लगी बाड़ को पार किया और उसके बाद ब्रिगेड मुख्यालय पर लगी बाड़ को, फिर सेना और सीमा सुरक्षा बल के पिकेट और चेकपोस्ट को। सेना के सूत्रों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि बि ना जान-पहचान के अंदर घुसना नामुमकिन है, क्योंकि उसके चारों तरफ कड़ी सुरक्षा है। वो किले जैसा है।

बिना किसी की मदद से ऐसा हमला करना मुश्किल

मुख्यालय में पूरी तरह जान-पहचान का आदमी ही अंदर प्रवेश कर सकता है। इसलिए जांचकर्ता संभावित 'गद्दार' की पड़ताल कर रहे हैं। यहां तक कि कुलियों और टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को भी जांच के दायरे में शामिल किया गया है।' ब्रिगेड मुख्यालय के पास चाय की दुकान चलाने वाले एजाज अहमद बताते हैं, 'बिना किसी की मदद के ऐसा हमला नामुमकिन है। इतना करीब रहने के बावजूद हमें इस बारे में पता नहीं चल सका तो कैसे एलओसी के पार से आने वाले ऐसा हमला कैसे सकते हैं? उन्हें इस जगह के बारे में पूरी जानकारी रही होगी।'

लोकल सपोर्ट हो सकता है हो सकता है

इस बात की भी आशंका है कि आतंकियों को लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसके दम पर वे आर्मी बेस के भीतर पहुंचे हों। इन चार आतंकवादियों को हो सकता है कि लोकल सपोर्ट मिला हो, जिसका इंतजाम इनके हैंडलर्स ने किया होगा। इस बीच आर्मी ने सुरक्षा संबंधी चूक की जांच शुरू कर दी है। इसके तहत आर्मी बेस की सुरक्षा में किसी भी तरह की ढील का पता लगाया जाएगा।

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