नोटबंदी पर आज काला दिवस मना रहा विपक्ष, संसद फिर ठप
संसद की कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर इसी मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो गया। गुरुवार को भी दोनों सदनों में काम न के बराबर हुआ है।
नई दिल्ली, जेएनएन। नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में हंगामा कम होने का नाम नहीं ले रहा। नोटबंदी को लागू हुए गुरुवार को पूरा एक महीना हो गया है। संसद की कार्यवाही शुरू होते ही एक बार फिर इसी मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो गया।
बार-बार हंगामे के बाद राज्यसभा कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। लोकसभा की कार्यवाही भी कुछ देर चली लेकिन फिर सदन में हंगामे के कारण निचले सदन की कार्यवाही को भी दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
बता दें केंद्र सरकार ने पिछले महीने आज ही के दिन 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की थी। नोटबंदी की इस घोषणा के बाद से ही विपक्ष लगातार सरकार पर हमले कर रहा है। इस बीच 16 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ, लेकिन इसका पहला पखवाड़ा हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। इस मुद्दे को लेकर अपनी-अपनी जिद पर अड़े सरकार व विपक्ष के बीच बर्फ कुछ पिघलने के संकेत जरूर मिल रहे हैं, लेकिन संसद की कार्यवाही चलने की उम्मीद कम ही है। राज्यसभा में हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित होना इसी बात का प्रमाण भी है।
बता दें कि नोटबंदी पर संसद में जारी गतिरोध को तोड़ने का रास्ता निकालने के लिए कांग्रेस अब स्पीकर सुमित्रा महाजन के प्रश्नकाल स्थगित कर बिना किसी नियम के लोकसभा में चर्चा शुरू करने के प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखा रही है। सरकार भी गैर वोटिंग प्रस्ताव के तहत चर्चा कराने को तैयार है।
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सियासी संग्राम का हल निकालने की इन कोशिशों के बीच विपक्ष ने गुरुवार को संसद परिसर में नोटबंदी के मुद्दे पर धरना देने का एलान किया है। विपक्ष के इस एलान की वजह से संसद का गतिरोध दूर करने की पर्दे के पीछे हो रही पहल परवान चढ़ेगी, इसकी उम्मीद कम ही है।
हिम्मत है तो चर्चा करो...
इससे पहले बुधवार को राज्यसभा में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष को बहस की चुनौती देते हुए कहा कि जब सरकार के तर्कों को गलत साबित करने का दम है तो फिर वह बहस से क्यों भाग रहे हैं। इतना ही नहीं जेटली ने कहा कि सदन में पीएम चर्चा में हिस्सा लेंगे और जवाब भी देंगे। लेकिन यह मांग अनुचित है कि पीएम हर पल सदन में बैठे रहें। उन्होंने कहा कि संसद में ऐसी कोई परंपरा भी नहीं रही है। उपसभापति कुरियन ने भी चर्चा शुरू कराने की भरसक कोशिश की, मगर विपक्ष नहीं माना और सदन स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में भी लगभग यही दृश्य दोहराया गया और स्पीकर को हंगामे की वजह से कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
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शीतकालीन सत्र में अब तक एक दिन भी संसद की कार्यवाही नहीं चला पायी है और बुधवार को भी कार्यवाही तमाम कोशिशों के बावजूद विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। संसद के लगातार ठप रहने से सरकार और विपक्ष दोनों के लिए बन रही असहज स्थिति के मद्देनजर कांग्रेस ने इसका ठीकरा अपने सिर से उतारने के लिए बुधवार को स्पीकर के प्रस्ताव को लपक लिया।
लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में प्रश्नकाल स्थगित कर गुरुवार को चर्चा शुरू करने और प्रधानमंत्री के इसमें हस्तक्षेप के जरिए बयान देने का प्रस्ताव दिया है। संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार इस पर सरकार में मशविरा कर विपक्ष को जवाब देने की बात कही। गौरतलब है कि स्पीकर ने बीते सप्ताह विपक्ष को यही प्रस्ताव दिया था तब इसे ठुकरा दिया गया था।
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