ज्ञानपीठ विजेता साहित्कार अनंतमूर्ति नहीं रहे
कन्नड़ साहित्य के श्लाका पुरुष व ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति का शुक्रवार शाम निधन हो गया। देश के शीर्ष लेखकों में शुमार 82 ंवर्षीय अनंतमूर्ति कई वर्षो से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे रहे थे। बुखार व संक्रमण के चलते गत दस दिनों से निजी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लेखक व शिक्षाविद् अनंतमूर्ति के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
बेंगलूर। कन्नड़ साहित्य के श्लाका पुरुष व ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार यूआर अनंतमूर्ति का शुक्रवार शाम निधन हो गया। देश के शीर्ष लेखकों में शुमार 82 ंवर्षीय अनंतमूर्ति कई वर्षो से विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे रहे थे। बुखार व संक्रमण के चलते गत दस दिनों से निजी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लेखक व शिक्षाविद् अनंतमूर्ति के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान अनंतमूर्ति यह कह कर चर्चा में आ गए थे कि अगर मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो वह एक क्षण भी भारत में नहीं रहना चाहेंगे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के बाद कुछ मोदी समर्थकों ने उन्हें उनके वादे की याद दिलाते हुए लाहौर का हवाई टिकट भेज दिया था। इस पर अनंतमूर्ति ने सफाई देते हुए कहा था कि भावनाओं में बहकर उन्होंने बयान दे दिया था।
मनिपाल अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि पिछले कई वर्षो से किडनी व हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित अनंतमूर्ति की गुरुवार रात तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। इसी दौरान उन्हें हृदयाघात हुआ, हमने उन्हें पुनर्जीवित करने का हरसंभव प्रयास किया लेकिन नाकाम रहे।
1980 के दशक में केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के उप कुलपति रहे अनंतमूर्ति ने दशकों की साहित्य साधना में सफलता के कई मुकाम छुए। 1984 में उन्हें राज्योत्सव सम्मान व 1994 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। भारत सरकार ने 1998 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा। 2013 में बुकर इंटरनेशनल प्राइज के लिए नामांकित होने पर पश्चिमी देशों के साहित्य प्रेमी उनकी ओर आकर्षित हुए।
मोदी ने अनंतमूर्ति के निधन को कन्नड़ साहित्य की क्षति करार देते हुए कहा है कि मैं उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।