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अमरनाथ यात्रा : मां के तोहफे का इंतजार कर रही थी बेटी, पहुंची अर्थी

अनंतनाग जिले में आतंकियों ने उसकी बस पर हमला कर ऊषा सहित कई यात्रियों की जान ले ली।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 12 Jul 2017 09:48 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jul 2017 11:32 AM (IST)
अमरनाथ यात्रा : मां के तोहफे का इंतजार कर रही थी बेटी, पहुंची अर्थी

नई दिल्ली,जेएनएन। दहानू कस्बे की रहने वाली ऊषा सोनकर (50) बहुत धार्मिक महिला थी। उसके पति मोहन सब्जी की दुकान चलाते हैं। हमले के एक दिन पहले ही उसने अपनी बेटी पिंकी को फोन करके बताया था कि उसके लिए एक स्वेटर खरीदा है। पिंकी को क्या पता था कि मां से यह उसकी आखिरी बात है और यह मां का आखिरी तोहफा होगा।

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अनंतनाग जिले में आतंकियों ने उसकी बस पर हमला कर ऊषा सहित कई यात्रियों की जान ले ली। उसकी सबसे बड़ी बेटी सीमा ने रोते हुए बताया कि वह अमरनाथ यात्रा पर जाना ही नहीं चाहती थी। मेरे पिता ने यात्रा से एक दिन पहले सीट बुक की क्योंकि बस में पांच सीटें ही बची थीं। उसे क्यों मार दिया गया, वह तो केवल तीर्थ यात्रा के लिए गई थी। अब हमारे पिता की देखभाल कौन करेगा?

पड़ोसियों ने बताया कि उषा बहुत धार्मिक महिला थी। मगर, एक जुलाई को उसने अपने पति मोहन से कहा था कि उसे अमरनाथ यात्रा के लिए मजबूर न करें। हालांकि, आखिर में वह मान गई और 20-दिवसीय यात्रा के लिए वह 2 जुलाई बस से निकल गई थी। उनके साथ बेटी पिंकी की सास छाया मेहर थी। अमरनाथ यात्रा के बाद, तीर्थयात्रियों की योजना कटरा में वैष्णो देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश में मनाली और गुजरात में अम्बाजी मंदिर जाने की थी।

सोमवार को ग्रुप स्थानीय बाजार में घूम रहा था और खरीदारी कर रहा था। उषा ने अपनी बेटी के लिए स्वेटर खरीदा था। शाम 5 बजे के करीब जब वे धर्म स्थल से निकले तो उनकी बस पंक्चर हो गई, जिसे ठीक करने में दो घंटे लग गए। बेस कैंप के लिए बस ने जब दोबारा सफर शुरू किया, तो अंधेरा हो चुका था। अनंतनाग में आतंकवादियों ने बस पर हमला कर कई यात्रियों की जान ले ली।

कुछ ऐसी ही कहानी है 50 साल की निर्मलादेवी ठाकुर की

वह ऊषा के घर से चंद किमी दूर रहती थीं और दहानू से गए 15 यात्रियों में से वह भी एक थीं। वह भी काफी धार्मिक महिला थी और हर साल वह तीर्थस्थलों की यात्रा करने के लिए जाती थीं। वह उज्जैन में हुए कुंभ मेले, वाराणसी के मंदिरों, मथुरा आदि के तीर्थस्थलों की यात्रा कर चुकी थीं। निर्मला का बेटा प्रदीप एक टैक्सी ड्राइवर है, जिसने मां को अमरनाथ भेजने के लिए 16 हजार रुएप दिए थे।

उसने बताया कि अमरनाथ यात्रा के लिए तीन महीने पहले ही प्लान बनाया था। निर्मला की बेटी नीतू ने बताया कि उसने ही मां को अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए कहा था। मगर, अब उसे अपराधबोध महसूस हो रहा है कि उसने मां को अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए क्यों कहा। रविवार को निर्मलादेवी ने प्रदीप को बताया था कि उनकी बस पर पत्थरबाजी हुई थी। मंगलवार की सुबह 5.20 बजे निर्मला की दोस्त भाग्यमणी ठाकुर ने बताया कि गोली लगने के कुछ ही मिनट के बाद उनकी मौत हो गई थी। 

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