Air India Plane Crash: ब्लैक बॉक्स से उठेगा हादसे के कारण से पर्दा, जानें- ये कैसे करता है काम
किसी भी विमान दुर्घटना के असल कारण के बारे में ब्लैक बॉक्स से ही पता चलता है। यह ऐसा उपकरण है जो अपनी उड़ान के दौरान हवाई जहाज की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। केरल में एयर इंडिया के एक विमान के रनवे से फिसलकर दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से दोनों पायलट समेत 17 लोगों की मौत हो गई और लगभग 130 यात्री घायल बताए जा रहे हैं। हादसे के बाद विमान दो टुकड़ों में बंट गया। विमान में कुल 191 लोग सवार थे। जानकारी के अनुसार विमान भारी बारिश के कारण फिसला, लेकिन इस कड़ी में ब्लैक बॉक्स अहम साबित होगा। यानी विमान दुर्घटना के असल कारण के बारे में ब्लैक बॉक्स से ही पता चलेगा। मुमकिन है कि विमान में कोई तकनीकि खराबी रही हो, जिससे यह हदसा हुआ। इसके बारे में ब्लैक बॉक्स से ही जानकारी मिलेगी। हर विमान हादसे के बाद ब्लैक बॉक्स को लेकर चर्चा तेज हो जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं ब्लैक के बारे में।
ब्लैक बॉक्स को 'फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर' के तौर पर भी जाना जाता है। हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर एक ऐसा उपकरण है, जो उड़ान के दौरान हवाई जहाज की सभी गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। ब्लैक बॉक्स को आम तौर पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से विमान के पीछे की तरफ रखा जाता है। यह बॉक्स टाइटेनियम धातु से बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है, ताकि ऊंचाई से जमीन या समुद्र में गिरने से इसको ज्यादा नुकसान न हो।
ब्लैक बॉक्स का इतिहास
वर्ष 1953-54 में, बढ़ती हवाई दुर्घटनाओं के मद्देनजर, एक ऐसा उपकरण विकसित करने के बारे में सोचा गया, जो विमान दुर्घटनाओं के कारणों की जानकारी दे सके और विमानों को दुर्घटनाओं से बचाने में भी मदद कर सके। इसके लिए 'ब्लैक बॉक्स' का आविष्कार किया गया। पहले लाल के कारण इसे 'रेड एग' के नाम से जाना जाता था। शुरुआती दिनों में, इसकी भीतरी दीवारें काले रंग की होती थीं। संभवत: इसलिए इसे 'ब्लैक बॉक्स' के रूप में जाना जाता है।
ब्लैक बॉक्स में दो अलग बॉक्स होते हैं:
1. फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर: - इस बॉक्स में दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति, हलचल, केबिन का तापमान आदि के बारे में जानकारी होती है। यह बॉक्स इस तरह के लगभग सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक समय की जानकारी रखता है। यह बॉक्स एक घंटे के लिए लगभग 11,000 डिग्री सेल्सियस और 10 घंटे के लिए 260 डिग्री सेल्सियस का तापमान सहन कर सकता है। ये बॉक्स लाल या गुलाबी रंग के होते हैं, ताकि आसानी से मिल सकें।
2. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर: - यह बॉक्स अंतिम दो घंटों के दौरान हवाई जहाज की आवाज को रिकॉर्ड करता है। यह किसी भी दुर्घटना से पहले विमान की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए इंजन, इमरजेंसी अलार्म, केबिन और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है।
ब्लैक बॉक्स कैसे काम करता है:
जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि ब्लैक बॉक्स एक मजबूत धातु से बना होता है। यह बिना बिजली के 30 दिनों तक काम कर सकता है। यह 11,000 डिग्री सेल्सियस के तापमान एक घंटे तक सहन कर सकता है। यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है, तो यह लगातार 30 दिनों तक प्रत्येक सेकेंड एक बीप की आवाज निकालता है। इससे इसे खोजने में आसानी होती है। इस आवाज को लगभग 2-3 किलोमीटर की दूरी से पहचाना जा सकता है। ब्लैक बॉक्स के संबंध में एक दिलचस्प तथ्य यह है कि यह समुद्र में 14,000 फीट की गहराई से भी संकेत दे सकता है। हालांकि, एक ब्लैक बॉक्स से किसी भी विमान दुर्घटना की स्पष्ट तस्वीर नहीं दिखाई देती है। कई बार तो यह मिलता भी नहीं है, लेकिन एक बात तय है कि यह विमान दुर्घटनाओं की जांच में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।