पीएम की सख्त चेतावनी का दिखा असर.. कुछ बदले, कुछ बदलना बाकी है
लोक सभा में बुधवार को सुबह से ही सत्ता पक्ष के सांसदों की अच्छी खासी उपस्थिति रही।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चेतावनी खुद प्रधानमंत्री की ओर से आए तो भाजपा सांसदों को बदलना ही था। एक दिन पहले ही नरेंद्र मोदी ने सख्त लहजे में सदन में मौजूदगी के लिए आगाह किया था। यह भी स्पष्ट किया था कि वह किसी भी वक्त किसी को भी बुला सकते हैं। बुधवार को असर साफ दिखा। दोनों सदनों में भाजपा सदस्य खचाखच उपस्थित थे। पर कहते हैं कि आदतें तत्काल नहीं जाती। लिहाजा पूरी मौजूदगी तभी हुई जब खुद पीएम भी लोकसभा में मौजूद थे। वरना अधिकतर सांसदों को सदन में बैठना बहुत पसंद नहीं था।
लोक सभा में बुधवार को सुबह से ही सत्ता पक्ष के सांसदों की अच्छी खासी उपस्थिति रही। प्रश्नकाल में जैसे ही यह बात फैली कि पीएम मोदी स्वयं सदन में आने वाले हैं तो भाजपा के जो सांसद जहां था वहीं से सदन की तरफ भागे। कुछ ही मिनटों में सत्ता पक्ष पूरी तरह से भर गया। पूरे प्रश्नकाल तक पीएम बैठे रहे। वह गए तो धीरे धीरे सांसदों के भी बाहर जाने का क्रम शुरू हो गया। वित्त विधेयक पर पूरे दिन चर्चा चली। इस बीच भाजपा सांसदों की संख्या पचास साठ से ज्यादा नहीं रही। शाम को वित्तमंत्री अरुण जेटली को चर्चा का जवाब देना था। खुद पीएम भी आने वाले थे, सो फिर से भाजपा सदस्यों की संख्या अच्छी हो गई।
सदन के बाहर भी असर मौजूद था। अपनी जुबान के कारण अक्सर विवादों में रहने वाले भाजपा सांसद साक्षी महाराज का सुर बदला हुआ था। संसद भवन में प्रवेश करने के समय जब संवाददाताओं ने उनसे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में पूछा तो उनका जवाब था कि, ''प्रदेश में राम राज होगा, हर किसी का ख्याल रखा जाएगा। सरकार कोशिश करेगी कि सभी पक्षकारों के साथ विचार विमर्श कर राम मंदिर के निर्माण पर सहमति बनाई जाए।'
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