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'गजेंद्र की आत्‍महत्‍या आप द्वारा रचित नाटक, जो त्रासदी मेें बदल गया'

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरोप लगाया है कि राजस्थान के गजेन्द्र सिंह नामक किसान की आत्महत्या आम आदमी पार्टी द्वारा रचित एक 'नाटक' था, जो सचमुच की त्रासदी में बदल गया।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sun, 26 Apr 2015 06:50 PM (IST)Updated: Sun, 26 Apr 2015 07:44 PM (IST)
'गजेंद्र की आत्‍महत्‍या आप द्वारा रचित नाटक, जो त्रासदी मेें बदल गया'

नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरोप लगाया है कि राजस्थान के गजेन्द्र सिंह नामक किसान की आत्महत्या आम आदमी पार्टी द्वारा रचित एक 'नाटक' था, जो सचमुच की त्रासदी में बदल गया। संघ ने पार्टी को इस घटना से सबक लेने की सलाह देते हुए कहा है कि आप की किसान रैली राजनीति के 'निम्नतम स्तर' को छू गई और ऐसी गंदी राजनीति से बाज आना चाहिए।

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आप के 'अलग ढंग की पार्टी' होने के दावे पर प्रहार करते हुए संघ ने अपने मुखपत्र 'ऑर्गेनाइजर' में कहा है- 'आप ने भारतीय राजनीति में जिस प्रकार का मनोरंजन का पुट जो़ड़ा है वह विचित्र है। अराजकतावादी इस संगठन ने मीडिया का ध्यान खींचने का हर मौका भुनाया है। वैसे तो राजनीति में कुछ नौटंकी, नारेबाजी और नेतृत्व की तिकड़मबाजी तो हमेशा ही चलती है।' पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के 'गरीबी हटाओ' और नरेंद्र मोदी के 'अच्छे दिन' जैसे नारों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि ऐसे आकर्षक शब्द आम मतदाताओं के मन को छूते हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी ने किसान रैली के नाम पर जो किया वह राजनीति का निम्नतम स्तर छू जाना था।

केंद्र को शर्मिंदा करने की कोशिश में 'आप' ने एक नाटक रचा जो त्रासदी में बदल गया। आप नेतृत्व पर आरोप लगाया गया कि चुनावी राजनीति में उसने हमेशा तिक़़डमों का इस्तेमाल किया। पार्टी ने मीडिया के जरिए जनता का ध्यान खींचने के प्रयास में कुछ तथाकथित किसानों को आत्महत्या का नाटक करने के लिए उकसाया और इस गंदी राजनीति में एक आदमी की सचमुच में जान चली गई। इस राजनीति का पूरी तरह त्याग किया जाना चाहिए।

भारतीय राजनीति में आप के उदय को देश की मौजूदा राजनीतिक संस्कृति से हटकर देखने पर भी संपादकीय में टिप्पणी की गई है। कहा गया है कि 2013 में दिल्ली में अल्पावधि की सरकार चलाने के बाद लोकसभा चुनाव में वाराणसी से चुनाव लड़ने पर कई लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया था आप भी अन्य पार्टियों की तरह बदल रही है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में फिर से प्रचंड बहुमत से वापसी के बाद अलग ही रास्ता पकड़ा। संपादकीय में भूमि अध्यादेश पर भाजपा का बचाव करते हुए कांग्रेस पर किसान हितों से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया गया है।

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