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आधार से बचे सरकार के नौ अरब: नीलेकणि

विश्व बैंक में गुरुवार को डिजीटल इकॉनामी फॉर डेवलपमेंट पर चर्चा कराई गई। नीलेकणि का कहना है कि आधार से सबसे ज्यादा सहूलियत इस बात की मिली कि फर्जी लाभपात्र अब नहीं दिख रहे।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 13 Oct 2017 10:12 PM (IST)Updated: Fri, 13 Oct 2017 10:12 PM (IST)
आधार से बचे सरकार के नौ अरब: नीलेकणि
आधार से बचे सरकार के नौ अरब: नीलेकणि

वाशिंगटन, प्रेट्र: भारत की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विसेज फर्म इंफोसिस के गैर कार्यकारी चेयरमैन नंदन नीलेकणि का कहना है कि भारत विश्व का अकेला देश है जहां एक अरब लोग सीधे आधार से जुड़े हैं। उनका कहना है कि यूपीए सरकार में शुरू योजना को पीएम नरेंद्र मोदी ने अंजाम तक पहुंचाया। इसकी वजह से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार पर रोक लग सकी तो पैसा अब सही हाथों में है।

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विश्व बैंक के पैनल डिस्कसन में भागीदारी कर रहे यूआइडीएआइ (यूनिक आइडेंटिटी डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के पूर्व चेयरमैन का कहना है कि इसके जरिये भारत को एक डिजीटल ढांचा खड़ा करने में सहूलियत मिल रही है। विश्व बैंक में गुरुवार को डिजीटल इकॉनामी फॉर डेवलपमेंट पर चर्चा कराई गई। नीलेकणि का कहना है कि आधार से सबसे ज्यादा सहूलियत इस बात की मिली कि फर्जी लाभपात्र अब नहीं दिख रहे। नौकरियों में भी फर्जीवाड़ा नहीं हो पा रहा है। उनका कहना था कि हमारे पास पचास करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी आइडी सीधे बैंक खाते से जुड़ चुकी है। सरकार ने 12 अरब रुपये सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर किए हैं। उनका कहना है कि नई वैश्विक व्यवस्था में पहचान, तुरंत भुगतान व पेपरलैस लेनदेन आवश्यक चीजें हैं और भारत इन्हें हासिल कर चुका है। भारत अकेला ऐसा देश है जहां सौ करोड़ लोग इस तरह की व्यवस्था में भागीदारी कर सकते हैं। सरकार ने हर नागरिक को इतना सक्षम बना दिया है कि वह डाटा को अपनी उन्नति के लिए इस्तेमाल कर सकता है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने डिजीटल आइडी के वैश्वीकरण की दिशा में बेहतरीन काम किया है। निजता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उनका कहना था कि अदालत ने भी एक ऐसी व्यवस्था दी है जिसमें अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए सरकार निजता को कुछ हद तक प्रतिबंधित कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराध को रोकने, राजस्व की सुरक्षा व सामाजिक विकास के मामले में ऐसा किया जा सकता है, लेकिन सरकार को ये काम हर बार कानून व वैध कारण के तहत ही करना होगा। हालांकि उनका ये भी कहना था कि डाटा के इस्तेमाल से असमानता कैसे दूर होगी, इस पर अभी सिलसिलेवार चर्चा करने की जरूरत है।

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