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खालसा कॉलेज में छात्रा छत से कूदी, हालत गंभीर

डीयू के गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज की छात्रा सोमवार दोपहर में कॉलेज की इमारत से कूद गई। छात्रा को तत्काल बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है।

By anand rajEdited By: Published: Tue, 14 Apr 2015 08:45 AM (IST)Updated: Tue, 14 Apr 2015 09:07 AM (IST)

दिल्ली (जागरण संवाददाता)। डीयू के गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज की छात्रा सोमवार दोपहर में कॉलेज की इमारत से कूद गई। छात्रा को तत्काल बाड़ा हिन्दू राव अस्पताल भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। जांच के दौरान पुलिस को छात्र के पास से दो पेज का सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें उसने पढ़ाई के चलते परेशान होने की बात लिखी है। छानबीन के दौरान पता चला कि छात्रा खुद को अन्य छात्रों के मुकाबले पढ़ाई में कमजोर मानती है।

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पुलिस के अनुसार, फरीदाबाद की रहने वाली 20 वर्षीय छात्रा कंप्यूटर साइंस से बी.टेक कर रही है। सोमवार दोपहर में वह कॉलेज की तीसरी मंजिल पर स्थित कंप्यूटर ब्लॉक पहुंची और वहां से नीचे कूद गई। वहां मौजूद छात्रों ने घटना की जानकारी शिक्षकों को दी। बाद में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके रीढ़ की हड्डी व सिर पर गहरी चोट लगी है। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को मामले की सूचना दी। जांच के दौरान पता चला कि छात्र पढ़ने में बेहद रुचि रखती है और हमेशा अच्छे नंबरों से पास हुई है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से ठीक से पढ़ नहीं पा रही थी। इसलिए वह पिछले कुछ समय से तनाव में रहने लगी थी। छात्र के पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। बेटी से पढ़ाई को लेकर उनकी कम बातचीत होती है। फिलहाल, मौरिस नगर थाना पुलिस घटना को लेकर छात्र का बयान दर्ज नहीं कर सकी है।

कई कॉलेजों में नहीं होती काउंसिलिंग

पढ़ाई, संबंध, परिणाम और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण छात्र-छात्रओं में जबरदस्त तनाव है लेकिन डीयू के चंद कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर छात्र-छात्रओं की काउंसिलिंग होती है। ऐसा तब है जब डीयू के लगभग 70 फीसद छात्र अन्य राज्यों से यहां पढ़ने के लिए आते हैं। बेहतर अंक पाने के लिए छात्र जी-जान लगा देते हैं और परिश्रम के अनुरूप अंक नहीं आने पर तनाव में आकर नशा करने लगते हैं या अन्य गलत कदम उठा लेते हैं। इसके बावजूद डीयू के अधिकतर कॉलेजों में काउंसिलिंग की सुविधा नहीं है। काउंसलिंग की सुविधा होने से छात्र-छात्राएं अपनी समस्या खुलकर काउंसलर के सामने रख सकते। ज्ञात हो कि ग्वेयर हॉल हॉस्टल में बंगाल के एक छात्र ने व्यक्तिगत कारणों से आत्महत्या कर ली। वहीं गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में बीटेक की छात्र द्वारा आत्महत्या के प्रयास के मामले के बाद एक बार फिर डीयू के कॉलेजों में काउंसलिंग शुरू करने का मामला तूल पकड़ने लगा है।

डीयू के प्रशासनिक अधिकारी का कहना है कि कॉलेजों में छात्र-छात्रओं की काउंसिलिंग करने के लिए डीयू किसी काउंसलर को नहीं नियुक्त करता, बल्कि कॉलेज अपने स्तर पर चाहे तो ऐसा कर सकते हैं। कुछ कॉलेजों ने अपने स्तर पर यह शुरू भी किया है। प्राध्यापिका के मुताबिक, तमाम तरह की परेशानियों को देखते हुए इन विद्यार्थियों को कई बार काउंसलिंग की जरूरत होती है। छात्र-छात्राओं के मन में कई प्रकार की दुविधाएं होती हैं।

तीन दिन होती है काउंसिलिंग

डीयू में दिल्ली विश्वविद्यालय महिला संगठन की ओर से छात्राओं के लिए सेंटर में सोमवार, बुधवार और शुक्रवार में काउंसिलिंग की व्यवस्था है। वहीं मिरांडा हाउस में सप्ताह में तीन दिन छात्राओं के लिए काउंसिलिंग की सुविधा है।

छात्रों के लिए काउंसिलिंग की सुविधा

डीयू में छात्राओं के काउंसिलिंग के लिए नार्थ कैंपस में दो सेंटर हैं लेकिन छात्रों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। छात्राओं के लिए भी साउथ कैंपस में कोई कामन काउंसिलिंग सेंटर नहीं है।

- डीयू देश का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है, यहां पर छात्र-छात्रओं में काफी तनाव रहता है। लेकिन डीयू के बहुत ही कम कॉलेजों में काउंसिलिंग की सुविधा है। यह सुविधा न होने के कारण छात्र गलत कदम उठा रहे हैं। गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में छात्र द्वारा आत्महत्या के प्रयास का मामला भी इसी के कारण हुआ। यदि कॉलेज में काउंसिलिंग की सुविधा होती तो छात्र शायद यह कदम नहीं उठाती।

- मोहित नागर, अध्यक्ष, डीयू छात्र संघ

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