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बिकाऊ है सहारा की 4700 एकड़ जमीन, पूरी संपत्ति जान दंग रह जाएंगे आप

निवेशकों को पैसा लौटाने के मामले में फंसे सहारा समूह ने अब अपनी 4700 एकड़ जमीन बेचने का फैसला किया है।

By kishor joshiEdited By: Published: Mon, 30 May 2016 08:09 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 12:29 PM (IST)

नई दिल्ली। शायद देशभर में यह पहली बार होगा कि कोई एक ग्रुप इतने बड़े पैमाने पर अपनी जमीन बेचने जा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, निवेशकों को पैसा लौटाने के मामले में फंसे सहारा समूह ने अब 14 राज्यों में अपनी 47,00 एकड़ जमीन बेचने का फैसला किया है। इस जमीन को एचडीएफसी रियल्टी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की ओर से ब्रिकी के लिए रखा गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे सहारा को 65,00 करोड़ रूपये प्राप्त हो जाएंगे।

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सहारा के पास इस समय कुल 33,633 एकड़ जमीन है। इसमें लोनावला के नजदीक एम्बे वैली की 10,600 एकड़ जमीन भी शामिल है। इसके अलावा सहारा के पास 1,000 जमीन लखनऊ में भी है जहां उसका मुख्यालय है। इस महीने की शुरूआत में ही सहारा प्रमुख सुब्रतो रॉय और समूह के निदेशक अशोक रॉय चौधरी को सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह की पैरोल दी थी। सेबी द्वारा मुकदमा दर्ज करने के बाद, सुब्रत रॉय मार्च 2014 से तिहाड़ जेल में बंद थे। कोर्ट ने कहा था कि सहारा बैंक गारंटी के लिए अपनी संपत्ति बेचकर 5000 करोड़ रूपये जुटा सकता है तथा 5,000 करोड़ रुपये और जुटाकर सुब्रत रॉय को जमानत मिल सकती है।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद एचडीएफसी रियल्टी और एसबीआई कैपिटल को सहारा की 60 फीसद संपत्तियों को नीलाम करने की जिम्मेदारी सौंपी है।नीलामकर्ताओं को उम्मीद है कि वे इस नीलामी से 65 हजार करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त कर लेंगे। लेकिन बाजार विशेषज्ञों का मानना इसमें से बड़ी जमीन का हिस्सा कृषि भूमि का भी है जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है।

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टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सहारा समूह के पास मध्य प्रदेश के उज्जैन सहित, राजस्थान के अजमेर, यूपी के अलीगढ़, बहराइच, बरेली, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, नोयडा, असम के गुवाहटी, तमिलनाडु के सालेम तथा गुजरात के पोरबंदर और बडौदा जैसी जगहों पर जमीनें हैं। मुबंई के वर्सोवा में तो सहारा के पास अलग से 106 एकड़ जमीन है। तीन वर्ष पहले प्लॉट की कीमत 19300 करोड़ रुपये थी। हालांकि बाद में पता चला कि यह दलदली भूमि है जिस पर तटीय वनस्पतियां रहती हैं जिसे विकसित नहीं किया जा सकता।


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