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जान की बाजी लगाकर बचाई थी जिंदगियां, मिला सम्मान

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इतिहास उनको जरूर याद रखता है, जो दूसरों के लिए के लिए जीना जानते हैं। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 2012 के लिए चुने गए बच्चों ने अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाई है। यही वजह है कि उनकी बहादुरी पर देश को नाज है। इस बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा बापू गैधानी पुरस्कार से नवाजे जाने व

By Edited By: Published: Fri, 18 Jan 2013 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jan 2013 09:29 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इतिहास उनको जरूर याद रखता है, जो दूसरों के लिए के लिए जीना जानते हैं। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, 2012 के लिए चुने गए बच्चों ने अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाई है। यही वजह है कि उनकी बहादुरी पर देश को नाज है। इस बार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा बापू गैधानी पुरस्कार से नवाजे जाने वाले बच्चों में उत्तर प्रदेश के भी चार बच्चे शामिल हैं।

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पहली अगस्त, 2011 की घटना है। हरियाणा के होडल स्थित ओजिना ड्रेन में एक बोलेरो गाड़ी गिर गई थी। हाईवे किनारे खड़े होकर लोग गाड़ी को पानी में डूबता देख रहे थे, लेकिन कोई गाड़ी में सवार लोगों को बजाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा था। सभी तमाशबीन बने हुए थे। मौत का नजारा देखने वालों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी कि पलवल-मथुरा हाइवे पर जाम लग गया था। इसी जाम में पलवल के स्कूल से पढ़कर घर आ रहे वे दो चचेरे भाई भी फंसे थे, जो डूब रहे परिवार के लिए मसीहा बनकर आए। अपनी जान को जोखिम में डालकर मथुरा के नंदगांव निवासी विश्वेंद्र लोखना (16) व उनके चचेरे भाई सतेंद्र लोखना (16) ने करीब 40 फुट गहरे पानी में छलांग लगा दी। दोनों बहादुरों ने गाड़ी में फंसी महिला और उसके एक बच्चे व भाई की जान बचा ली। भविष्य में कमांडो बनने की इच्छा रखने वाले विश्वेंद्र और क्रिकेटर बनने की राह पर अग्रसर सतेंद्र कहते हैं कि हमें ड्राइवर को नहीं बचाने का अफसोस है। काश! वहां तमाशबीन बने लोगों ने थोड़ी यदि हिम्मत दिखाई होती तो ड्राइवर भी बच जाता।

कानपुर स्थित ढोरी घाट के रहने वाले विजय कुमार सैनी (16) ने भी कुछ ऐसा ही साहस दिखाया और गंगा में डूब रहे तीन बच्चों की जान बचाई। गंगा के किनारे फूल बेचकर अपना और परिवार का भरण-पोषण करने वाले विजय बताते हैं कि एक दिन छह बच्चे एक खंभे से छलांग लगा-लगाकर नदी में नहा रहे थे। अचानक पास के एक मिठाई दुकानदार ने आवाज लगाई कि बच्चे डूब रहे हैं। आवाज सुनकर बिना देरी किए विजय ने गंगा में छलांग लगा दी और तीन बच्चों को बाहर निकाल लाया। एक पल तो उन्हें लगा कि गंगा की धारा उन्हें भी बहा ले गई, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। इस दौरान अन्य तीन बच्चे नदी की तेज धारा में बह चुके थे।

13 वर्षीय पवन कुमार कनौजिया सीतापुर (उत्तर प्रदेश) के कसरैला गांव के रहने वाले हैं। रात डेढ़ बजे घर में घुस रहे बदमाशों से पवन ने जमकर लोहा लिया। उनसे तब तक लड़ता रहा, जब तक मौके पर पहुंच पुलिस ने उन्हें पकड़ नहीं लिया। इस दौरान चार में से एक बदमाश भागने में सफल हो गया।

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