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मालेगांव ब्‍लास्‍ट: पांच में से अब बचे केवल दो गवाह और दिया नया बयान

मालेगांव ब्‍लास्‍ट मामले में कुल पांच गवाहों में से अब मात्र दो ही बचे हैं। एक की मौत, दूसरा लापता, तीसरा अपने बयान से पलट गया और बाकी बचे दो ने भी नया बयान दिया है।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 02:49 PM (IST)

नई दिल्ली। साध्वी प्रज्ञा को साजिश का केंद्र बनाने के लिए एटीएस पांच गवाहों पर निर्भर थे, इनमें से एक की मौत हो गयी एक गायब है और एक गवाह से मुकर गया, एनआइए ने अपने मूल बयान को हटा दिया और दो अन्य की जांच फिर से कर रहा है।

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मालेगांव ब्लास्ट 2008 में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की भूमिका को देखते हुए महाराष्ट्र आतंक विरोधी स्कवाड विस्फोट में इस्तेमाल की गई उनके बाइक की खोज में है, इसके अलावा संदिग्ध मीटींग्स में उनकी कथित उपस्थिति आदि की भी पड़ताल कर रही है। इस प्लान के केंद्र में उनके होने की बात पांच गवाहों द्वारा दिए गए बयानों से साबित हुआ। ये गवाह थे- हिमानी सावरकर, दिलीप पाटीदार, धर्मेंद्र बैरागी, यशपाल बदाना और आरपी सिंह।

एटीएस के चार्जशीट के अनुसार, भोपाल में 11 अप्रैल, 2008 को सावरकर, बदाना और सिंह ने बम प्लांट करने वालों से साध्वी को बात करते सुना।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अब सावरकर की मौत हो चुकी है, पाटीदार पिछले सात सालों से लापता है और बैरागी अपने बयान से मुकर गया है। एनआइए ने एटीएस के केंद्रीय दलीलों को नकारते हुए पिछले माह सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल किया, जिसके अनुसार दो गवाहों हरियाणा के किसान, बदाना और पूर्व एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, सिंह का फिर से पड़ताल किया जाएगा। एनआइए ने यह इंवेस्टीगेशन 2011 में शुरू किया लेकिन बदाना और सिंह का पुन: परीक्षण 2015 के अंत में किया गया और बाद में इसके सप्लीमेंट्री चार्जशीट ने प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दिया।

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एटीएस चार्जशीट में 452 गवाहों में से 11 का पुन:परीक्षण एनआइए ने किया।

दिल्ली कोर्ट में पुन:परीक्षण के दौरान, बदाना ने 2008 में भोपाल जाने की बात से इंकार कर दिया। उसने कहा कि वह इस मंदिर को केवल इसलिए जानता है क्योंकि 2009 में इंवेस्टीगेशन के दौरान एटीएस उसे वहां ले गयी। बदाना के अनुसार उसने 11 अप्रैल 2008 को ऐसी किसी मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया और चाय नाश्ता देते वक्त कुछ सुना भी नहीं। जबकि इसके पहले उसने कहा था कि कुछ अवसरों पर चाय नाश्ता देने के लिए वह कमरे में गया था और पुरोहित को यह कहते सुना था कि हमें जल्द ही मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई करना होगा। मालेगांव में काफी मुस्लिम हैं। यदि यहां ब्लास्ट होता है तो हिंदु हत्याओं का बदला ले सकते हैं। इस पर प्रज्ञा ने जवाब दिया था कि आपको ब्लास्ट के लिए आदमी की जरूरत होगी और मैं इस जरूरत को पूरा करुंगी।

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आर पी सिंह नई दिल्ली के अपोलो अस्पताल में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट थे। पहली बार 24 दिसंबर 2008 को एटीएस ने उसका बयान रिकार्ड किया था और सभी तीन बैठकों में बदाना की उपस्थिति की पुष्टि हुई थी। एटीएस चार्जशीट के अनुसार, सिंह ने कहा था कि मीटिंग के दौरान पुरोहित को सहयोग देने की बात कहते हुए प्रज्ञा को सुना था। जबकि अपने नये बयान में वह इस बात से मुकर गया।


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