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विटामिन डी के ओवरडोज से 10 वर्षीय बच्चे की मौत

पर्ची पर डॉक्टरों की लिखावट साफ नहीं होना और विटामिन डी का बेवजह इस्तेमाल किस कदर जानलेवा साबित हो सकता है यह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक केस स्टडी से समझा जा सकता है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 29 Apr 2016 02:36 AM (IST)Updated: Fri, 29 Apr 2016 03:26 AM (IST)

रणविजय सिंह, नई दिल्ली । पर्ची पर डॉक्टरों की लिखावट साफ नहीं होना और विटामिन डी का बेवजह इस्तेमाल किस कदर जानलेवा साबित हो सकता है यह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक केस स्टडी से समझा जा सकता है। पर्ची पर दवा के नाम की लिखावट अस्पष्ट होना 10 वर्षीय बच्चे के जीवन पर भारी पड़ गया। गलती से विटामिन डी के ओवरडोज (अधिक मात्रा) से बच्चे की मौत हो गई। विटामिन डी के दुष्प्रभाव से मौत का पहला मामला है। इसे दुर्लभ मामला मानते हुए एम्स के डॉक्टरों ने इस केस स्टडी को मेडिकल जर्नल (इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स) में प्रकाशित किया है।

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डॉक्टरों के अनुसार विटामिन डी का इस कदर दुष्प्रभाव हुआ कि बच्चे के कई महत्वपूर्ण अंग प्रभावित हो गए और उसकी जान चली गई। उम्र के अनुसार उस बच्चे की लंबाई कम थी। माता-पिता चिंतित थे और उसका ग्रामीण क्षेत्र के एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे। डॉक्टर ने उसकी लंबाई बढ़ाने के लिए ग्रोथ हार्मोन की दवा लिखी थी। पर्ची पर लिखावट ठीक नहीं होने के चलते फार्मासिस्ट ने 600000 आइयू (इंटरनेशनल यूनिट) पॉवर की विटामिन डी की दवा दे दी। यह दवा 21 दिनों तक लगातार खाने से उसके शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो गई। इसके दुष्प्रभाव के चलते बच्चे के पेट में दर्द और उल्टी शुरू हो गई। उसे इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया। जहां जांच में साबित हुआ कि विटामिन डी की दवा के दुष्प्रभाव के चलते बच्चे की तबीयत बिगड़ी।

एम्स के डॉक्टरों ने उसका इलाज किया। स्वास्थ्य में सुधार होने पर उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, लेकिन बाद में फिर एम्स में भर्ती करना पड़ा। ब्लडप्रेशर बढ़ने के चलते मस्तिष्क में सूजन और फेफड़े में पानी भर गया। इस वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। बच्चे के शरीर में संक्रमण भी हो गया था। डॉक्टरों ने डायलिसिस भी की फिर भी शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम नहीं हुई, क्योंकि उस बच्चे को विटामिन डी के निर्धारित डोज से 30 गुना अधिक डोज दिया गया था। एम्स पीडियाट्रिक विभाग की क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ. झुमा शंकर ने कहा कि यह कुछ महीने पहले का मामला है।

संभल कर इस्तेमाल करें विटामिन डी की दवा

ऐसा माना जाता है कि देश में करीब 80 फीसद लोग विटामिन डी की कमी से पीडि़त हैं। इस वजह से विटामिन डी की दवा का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में एम्स के डॉक्टरों ने अध्ययन कर यह बताया था कि यह दावा सही नहीं है कि देश की 80 फीसद आबादी विटामिन डी से पीडि़त है। बड़े स्तर पर देशव्यापी ऐसा अध्ययन नहीं हुआ, जिससे साबित हो सके कि देश की इतनी बड़ी आबादी विटामिन डी की कमी से पीडि़त है। ऐसे में विटामिन डी की दवा संभल कर लें। बेवजह विटामिन डी की दवा का इस्तेमाल सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है।


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