सत्यम के निदेशकों को अमेरिकी कोर्ट से राहत
न्यूयॉर्क। घोटाले की शिकार सत्यम कंप्यूटर्स के सात निदेशकों को अमेरिकी अदालत से राहत मिल गई है। न्यूयॉर्क की जिला अदालत ने इनके खिलाफ कंपनी के शेयरधारकों की ओर से दाखिल दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि इनके खिलाफ घोटाले में शामिल होने और लापरवाही के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। ये तो खुद इस फर्जीवाड़े के पीि
न्यूयॉर्क। घोटाले की शिकार सत्यम कंप्यूटर्स के सात निदेशकों को अमेरिकी अदालत से राहत मिल गई है। न्यूयॉर्क की जिला अदालत ने इनके खिलाफ कंपनी के शेयरधारकों की ओर से दाखिल दावे को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि इनके खिलाफ घोटाले में शामिल होने और लापरवाही के पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। ये तो खुद इस फर्जीवाड़े के पीड़ित हैं। जिस दौरान ये घोटाला हुआ था उस समय ये सभी निदेशक कंपनी की ऑडिट समिति में शामिल थे।
न्यूयॉर्क की जिला जज बारबरा जोन्स ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि शेयरधारकों के दावों को खारिज करने के लिए निदेशकों की ओर से दायर याचिका मंजूर कर ली गई है। उन पर इस तरह का कोई आरोप नहीं है कि घोटाले में वे शामिल थे। जज ने कहा कि शेयरधारकों की शिकायत में भी ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिससे यह साबित हो कि सत्यम घोटाले से उसके निदेशकों को किसी तरह का लाभ मिला। शिकायत में ज्यादातर आरोप इस बात पर केंद्रित हैं कि प्रबंधन के कुछ लोगों द्वारा सुनियोजित ढंग से घोटाले को अंजाम दिया। इससे यह भी साबित होता है कि कंपनी के निदेशक स्वयं इस घोटाले के पीड़ित रहे हैं। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि शिकायतकर्ता इस बात को भी साबित करने में असफल रहे कि निदेशकों ने अपनी ओर से कोई कोताही या लापरवाही बरती।
यह मुकदमा सत्यम के शेयरों में निवेश करने वाली अमेरिकी कंपनियों ने दायर किया था। इन कंपनियों ने जनवरी 2004 से जनवरी 2009 के बीच बांबे स्टॉक एक्सचेंज [बीएसई] और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज [एनएसई] में इस कंपनी के शेयरों में निवेश किया था। मुकदमा दायर करने वाली इन कंपनियों में पब्लिक एम्प्लाईज रिटायरमेंट सिस्टम ऑफ मिसीसिपी, माइनवर्कर्स पेंशन स्कीम, स्केजन एएस और सैमपेंशन केपी लिव्सफॉरसिकरिंग शामिल हैं।
इन कंपनियों ने जिन सात निदेशकों को आरोपी बनाया था उनमें हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के सीनियर एसोसिएट डीन कृष्णा पलेपू, इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के पूर्व डीन एम राममोहन राव, पूर्व कैबिनेट सचिव और रक्षा सचिव टीआर प्रसाद और पूर्व निदेशक और आइआइटी के डीन वीएस राजू शामिल हैं। शिकायत में इन निदेशकों और ऑडिट समिति पर आरोप लगाया गया था कि इन्होंने कंपनी की वित्तीय हालत की निगरानी की जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया। सत्यम के संस्थापक रामालिंगा राजू द्वारा जनवरी 2009 में घोटाले की बात स्वीकारने के बाद इसके शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। बाद में इस कंपनी का अधिग्रहण महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की कंपनी टेक महिंद्रा ने कर लिया। अब इसका नाम महिंद्रा सत्यम हो गया है।