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टैक्स में कटौती समेत 'अच्छे दिन' की उम्मीद चाहता है टेक्सटाइल उद्योग

एक लाख तैंतीस हजार वर्ग मीटर कपड़े का उत्पादन करने वाले मध्य प्रदेश के टेक्सटाइल उद्योग की उम्मीदें अब आम बजट पर टिकी है। यह उद्योग 'अच्छे दिन' की उम्मीद कर रहा है।

By Edited By: Published: Fri, 04 Jul 2014 12:24 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jul 2014 06:08 PM (IST)

इंदौर। एक लाख तैंतीस हजार वर्ग मीटर कपड़े का उत्पादन करने वाले मध्य प्रदेश के टेक्सटाइल उद्योग की उम्मीदें अब आम बजट पर टिकी है। यह उद्योग 'अच्छे दिन' की उम्मीद कर रहा है।

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प्रदेश में 40 बड़ी कंपनियों के प्लांट हैं। सैकड़ों छोटी-छोटी यूनिट यार्न उत्पादन किया जाता है। मध्यप्रदेश टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन (एमपीटीएमए) के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वषरें से प्रदेश में टेक्सटाइल उद्योग संकट का सामना रहा है।

टेक्सटाइल इंडस्ट्री कर्मचारियों की लागत, बिजली का खर्च और ऊंची ब्याज दर की समस्या से जूझ रही है। यूरोप में मंदी की वजह से निर्यात भी कम हो गया है। तरह-तरह के टैक्स ने इस सेक्टर की लागत बढ़ा दी है।

फाइबर पर घटे टैक्स

सरकार सभी तरह के फाइबर पर 12 फीसद उत्पाद वसूलती है। इस कारण टेक्सटाइल उत्पाद की लागत बढ़ जाती है। इसे कम करने की मांग उठ रही है।

आसान हो टफ स्कीम

टेक्सटाइल उद्योग को विकास की नई गति प्रदान करने के लिए यूपीए सरकार द्वारा टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फंड स्कीम (टफ) योजना को प्रारंभ किया था। टफयोजना का मुख्य उद्देश्य उद्योग में कार्यरत पुरानी मशीनों के स्थान पर नई तकनीक से लैस करना था।

कुछ समय पहले इस योजना में केन्द्र सरकार ने टेक्सटाइल क्षेत्र की विभिन्न इकाइयों को प्रदान की जाने वाली ब्याज सब्सिडी को अलग-अलग कर दिया था इस कारण इस सेक्टर की कंपनियों की परेशानी बढ़ गई है। जानकारों के अनुसार बदलाव का सर्वाधिक असर स्पिनिंग कंपनियों पर पड़ा है। इस संबंध में मप्र टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से मांग की है कि विभिन्न स्कीमों के तहत दी जाने वाली ब्याज छूट को एक समान किया जाए।

केंद्र सरकार को स्पिनिंग मिल्स को मिलने वाली चार फीसदी सब्सिडी को तुरंत बहाल करना चाहिए। केंद्र सरकार के द्वारा इसे दो फीसदी करने के बाद हमारी ना सिर्फ लागत बढ़ रही है बल्कि कई मिलें अब एक्सपेंशन और अपग्रेडेशन से बच रही हैं।

किसी के लिए 2 तो कहीं 5

वर्तमान में अलग-अलग उत्पाद इकाईयों के लिए अलग-अलग छूट नियम है। जैसे स्पिनिंग इंडस्ट्री को ब्याज सब्सिडी चार से घटाकर दो फीसदी की गई वहीं वीविंग को पांच फीसदी सब्सिडी दी जा रही है। इसके साथ ही न्यू शटरलेस लूम्स को छह फीसदी, ओल्ड शटरलेस लूम्स को दो फीसदी, प्रोसेसिंग मशीनरी को पांच फीसदी, गारमेंट पर पांच फीसदी की सब्सिडी दी जा रही है।

एकसमान ब्याज में छूट

टेक्सटाइल सेक्टर का कहना है कि हम चाहते हैं कि सभी के लिए एक समान पांच फीसदी या सरकार जो चाहे ब्याज छूट तय कर दे जिससे कि कंफ्यूजन खत्म हो सके। अगर एक ही कंपनी की पूरी प्रोडक्शन लाइन है तो उसे इनकी गणना करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस संबंध में मप्र टेक्स्टाइल मिल्स एसोसिएशन ने कुछ समय पहले केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र भी लिखा था। उद्यमियों का कहना है कि वर्तमान में ऐसे समय जब कि इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रहीं है सरकार को हमें ज्यादा से ज्यादा सहायता देनी चाहिए।

सरकार से बजट में विभिन्न प्रकार के टैक्स से राहत की उम्मीद है। वहीं टफ योजना को भी आसान किया जाना चाहिए। मजदूरों के संकट का सामना कर रहे इस सेक्टर को मनरेगा योजना के तहत मजदूर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। - एमसी रावत, सचिव, मप्र टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन

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