दस हजार टन दाल का होगा आयात
देश में दाल उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पा रही है। लिहाजा सरकार को इसका आयात लगातार बढ़ाना पड़ रहा है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पांच हजार टन अरहर और इतनी ही मात्रा में उड़द दाल आयात करने का फैसला किया गया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । देश में दाल उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पा रही है। लिहाजा सरकार को इसका आयात लगातार बढ़ाना पड़ रहा है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में पांच हजार टन अरहर और इतनी ही मात्रा में उड़द दाल आयात करने का फैसला किया गया। दालों की पहली खेप इस हफ्ते ही आयात की जाएगी। अगले हफ्ते की शुरुआत से यह बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। माना जा रहा है कि अपर्याप्त मानसून की वजह से देश में दालों की पैदावार पर काफी असर पड़ेगा।
सूखे की आशंका के मद्देनजर दालों की खुदरा कीमतों खासा उछाल आया है। इनकी कीमतें और नहीं बढ़ें, इसके लिए सरकार ने एकमुश्त 10,000 टन दाल आयात करने का फैसला किया है।
सरकारी एजेंसी एमएमटीसी दाल का आयात करेगी। इसके पहले प्याज की बढ़ रही कीमतों के मद्देनजर भी पिछले हफ्ते कैबिनेट में फैसला हुआ था। राज्यों को प्याज का स्टॉक सीमा तय करने का अधिकार दिया था, ताकि सटोरियों और जमाखोरी पर लगाम लगाई जा सके। दालों के आयात पर कोई सीमा शुल्क नहीं लगाने का फैसला पहले ही किया जा चुका है। देश से अधिकांश किस्म के दालों के निर्यात पर पाबंदी भी लगाई जा चुकी है।
एजेंसियों को मिलेंगे 113 करोड़
इसके साथ ही कैबिनेट ने वर्ष 2006 से वर्ष 2011 के दौरान दाल आयात करने वाली एजेंसियों को हुए घाटे की भरपायी करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है। यह घाटा 113.40 करोड़ रुपये का है। इससे एमएमटीसी, एसटीसी, नाफेड, पीईसी के फंसे हुए पैसे की भरपाई हो जाएगी।