सुविधा देकर टैक्स वसूलना ज्यादा आसान : नायडू
शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे लोगों से टैक्स लेकर बेहतर सेवाएं मुहैया कराएं। लोकलुभावन नीतियां दीर्घकालिक व स्थायी नहीं होती हैं। अगर स्थानीय निकाय अच्छी सेवाएं देने की गारंटी दें तो लोग इसके लिए और टैक्स देने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे।
नई दिल्ली ( जागरण ब्यूरो)। शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को चाहिए कि वे लोगों से टैक्स लेकर बेहतर सेवाएं मुहैया कराएं। लोकलुभावन नीतियां दीर्घकालिक व स्थायी नहीं होती हैं। अगर स्थानीय निकाय अच्छी सेवाएं देने की गारंटी दें तो लोग इसके लिए और टैक्स देने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। गुजरात मॉडल इसका जीता जागता उदाहरण है। हम अपने शहरी निकायों को लोगों की सहभागिता से आत्मनिर्भर और मजबूत बनाएंगे।
नायडू ने इस बात पर आशंका भी जताई की अगर टैक्स बढ़ाने के बावजूद उसका उपयोग नहीं किया जाए तो लोगों का नाराज होना वाजिब है। इसके लिए जनता के टैक्स के उचित उपयोग की गारंटी देनी होगी। गुजरात में अन्य राच्यों के मुकाबले अधिक टैक्स वसूले जाने के बावजूद लोग नाराज नहीं हैं। वजह यह है कि वहां के शहरी क्षेत्र में लोगों को बेहतर सुविधाएं गारंटी के साथ मुहैया कराई जाती हैं। चुटकी लेने के अंदाज में नायडू ने कहा कि लोगों को मुफ्त बिजली देने का ऐसा वादा करने का क्या फायदा, जब बिजली आपूर्ति ही न हो? हम इसके लिए किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहेंगे, लेकिन हमारी राजनीतिक प्रणाली में सिर्फ व सिर्फ लोकलुभावन वादे ही अहम हो गए हैं। ऐसे वादे तात्कालिक लाभ ही देने वाले होते हैं। दीर्घकालिक विकास को कड़े फैसले व कड़वी दवाई लेनी ही पड़ती है। मुश्किलें उन नगर निकायों के साथ होती हैं, जो अपने विकास के लिए राच्यों की तरफ ताकती हैं और राच्य केंद्र से आस लगाते हैं। केंद्र भी इसके लिए विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक की तरफ ऋ ण के लिए देखता है। इस कर्ज को चुकाने की भी जरूरत होती है। पूर्ववर्ती वित्त मंत्री के 2014 के अंतरिम बजट भाषण का जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि उसका 43.3 फीसद हिस्सा इन बैंकों के ब्याज चुकाने में चला गया।
नायडू गुरुवार को यहां राच्यों के शहरी विकास मंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। सबको आवास देने के अपने वादे को पूरा करना सरकार की उच्च प्राथमिकता है।
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