हवाई चप्पल पहनने वाले भी करेंगे हवाई यात्रा
दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख नितिन प्रधान से बातचीत में उन्होंने कहा कि उड्डयन क्षेत्र में सुधार के अगले चरण के बाद न केवल देश के छोटे शहरों में भी हवाई सेवाएं होंगी बल्कि कई बड़े एयरपोर्ट भी देखने को मिलेंगे।
सस्ता किराया और बढ़ी हुई सुविधाएं देश में हवाई यात्रियों की संख्या में तेजी इजाफा कर रही है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि आज के समय में रेल के एसी कोच में सफर कर रहे यात्रियों की संख्या हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों के बराबर पहुंच गई है। केंद्रीय नागर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा मानते हैं कि सरकार ने इस क्षेत्र के लिए जो नीति अपनाई है उससे यात्रियों की संख्या में और इजाफा होगा और हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई यात्रा करने में सक्षम होंगे। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख नितिन प्रधान से बातचीत में उन्होंने कहा कि उड्डयन क्षेत्र में सुधार के अगले चरण के बाद न केवल देश के छोटे शहरों में भी हवाई सेवाएं होंगी बल्कि कई बड़े एयरपोर्ट भी देखने को मिलेंगे। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :-
प्रश्न: सरकार हवाई किरायों को रेल किराये के बराबर लाने की बात कर रही है? ये कैसे वास्तविकता में तब्दील होगा?
उत्तर: देखिए हवाई यात्राओं में जिस प्रकार की वृद्धि हो रही है उससे स्पष्ट हो रहा है कि अब सामान्य व्यक्तियों के लिए भी हवाई जहाज से यात्रा करना मुमकिन हो गया है। इसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं और निरंतर इस दिशा में काम हो रहा है। रेलवे के एसी कोच और हवाई यात्रियों की संख्या लगभग बराबर हो गई है। और ऐसा संभव हुआ है सरकार की नीतियों की वजह से हवाई किराये में कमी के चलते। साथ ही विमानन क्षेत्र में भी बढ़ोतरी हो रही है। अब तो स्थितियां यहां तक आ गई हैं कि आने वाले समय में हवाई चप्पल पहनने वालों के लिए भी हवाई यात्रा सुगम होगी। सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका फायदा उठाएं।
प्रश्न: इन लक्ष्यों को पाने के लिए सरकार की क्या योजना है?
उत्तर: हवाई यात्रा को सुगम बनाने की जिस सोच को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं मुझे लगता है कि उस पर हमें आगे तीन चार बिंदुओं पर काम करना है। पहला, देश में एयरलाइन कंपनियों के पास विमानों की संख्या में बढ़ोतरी हो। हालांकि सरकार ने जो नीति अपनाई है उससे एयरलाइंस के लिए नए विमान खरीदना आसान हो गया है। इसकी वजह से उड़ानों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है।
दूसरे, जैसा कि मैंने पहले कहा कि आपको जानकर हैरत होगी कि रेलवे के एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 2015 में 13 करोड़ थी। जबकि पिछले 12 महीने में अगर हम हवाई यात्रियों की संख्या देखें तो वह भी करीब 14 करोड़ है। यानी अगर यात्रियों की संख्या के लिहाज से देखें तो हवाई यात्रियों की संख्या रेलवे के एसी कोच के यात्रियों के करीब करीब बराबर हो रही है।
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि अब देश के हवाई अड्डे भी विश्वस्तरीय हो गए हैं। मुंबई, बैंगलुरू, दिल्ली यहां ट्रैफिक लगातार बढ़ रहा है। यहां हुए निवेश के चलते हवाई अड्डों को आधुनिक बनाने में सफलता मिली है। सुविधाएं बढ़ी हैं। इससे लोगों का अनुभव भी बेहतर हुआ है।
चौथा और अंतिम बिंदु है सरकार की सुधारवादी और विकासोन्मुख नीतियां। राष्ट्रीय विमानन नीति बन चुकी है। क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की घोषणा भी हो चुकी है। इस पर अब अमल होना बाकी है।
प्रश्न: इन बिंदुओं पर सरकार कैसे आगे बढ़ेगी?
उत्तर: देखिए अब तक जो हुआ उसे मध्यांतर से पहले की कहानी मानिए। अब मध्यांतर के बाद भी बहुत कुछ होने वाला है। हम रीजनल कनेक्टिविटी के लिए एयरपोर्ट की संख्या को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। अभी देश में करीब 75 एयरपोर्ट हैं। हमारा इरादा इन्हें बढ़ाकर 150 करने का है। यही नहीं विमानों की संख्या भी आने वाले समय में बढ़ने वाली है। अभी देश में 450 हवाई जहाज हैं। हमारी नीतियों से प्रोत्साहित विमानन कंपनियां करीब 700 जहाज खरीदने जा रही हैं। कई छोटे शहरों में हवाई अड्डे तैयार किए गए हैं। लुधियाना और सिलचर जैसे हवाई अड्डों पर भी अब हवाई सेवा उपलब्ध है। यहां तक कि गोरखपुर में भी हवाई सेवा शुरू कर दी गई है। जल्दी ही कानपुर से भी हवाई सेवा की खुशखबरी आपको मिलेगी।
प्रश्न: सस्ता किराया और एयरलाइनों का विस्तार क्या कच्चे तेल की कीमतों में कमी की वजह से नहीं है?
उत्तर: सस्ता कच्चा तेल भी एक फैक्टर है। लेकिन यह अकेला कारक नहीं है। एयरलाइन कंपनियों की इकोनॉमी सुधारने में कई और बातों ने भी मदद की है। दुनिया भर में कर्ज की दरें कम होने से कंपनियों की पूंजी लागत भी काफी कम हुई है। इससे कंपनियों के लिए विदेशी बाजारों से जहाज खरीदना संभव हुआ है। एयरलाइनों की मार्केटिंग नीतियों ने भी मदद की है। एयर इंडिया रेलवे की टिकट कन्फर्म न होने पर उसी किराये पर टिकट देने की स्कीम लाई है। दूसरे हमारी नीतियों ने भी कंपनियों को मदद की है। इनमें एविएशन क्षेत्र में एफडीआइ की सीमा बढ़ाने जैसे फैसले शामिल हैं। इसके अलावा कारोबार को आसान बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों ने भी एविएशन क्षेत्र के विकास में योगदान किया है।
प्रश्न: आपने कहा कि देश में हवाई अड्डों की संख्या बढ़ेगी। क्या यह काम निजी भागीदारी से होगा?
उत्तर: यहां मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि आमतौर पर निजी क्षेत्र की रुचि बड़े एयरपोर्ट्स में हैं। इनमें नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स आते हैं। इसमें भविष्य में पुणे और गोवा में नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट बनाने का फैसला हुआ है। गोवा में एयरपोर्ट विकसित करने का ठेका जीएमआर ने जीता है। लेकिन छोटे एयरपोर्ट सरकार विकसित करेगी। केवल मेंटेंनेंस और आपरेशन के कांट्रैक्ट करेंगे। इनमें जयपुर जैसे शहर शामिल हैं। बाकी बेहद छोटे एयरपोर्ट जो ज्यादातर घाटे में चलते हैं वे सरकार अपनी जिम्मेदारी में चलाएगी। गोरखपुर कानपुर जैसे शहरों में छोटे एयरपोर्ट विकसित हो रहे हैं।
प्रश्न: क्षेत्रीय कनेक्टिविटी नीति को आप कैसे देख रहे हैं?
उत्तर: रीजनल कनेक्टिविटी नीति पहली जनवरी 2017 से लागू हो जाएगी। इसके तहत क्षेत्रीय हवाई मार्गो पर परिचालन करने पर विमान ईंधन की खरीद में एक फीसद टैक्स रियायत दी जा रही है। ये रियायत अंडरसर्व्ड एयरपोर्ट पर मिलेगी जहां 14 से कम उड़ानों का संचालन होता है। हमारा मानना है कि इसके लागू होने के बाद देश में क्षेत्रीय एयरलाइनों का दौर भी शुरू होगा और नई कंपनियां सामने आएंगी। इससे नए क्षेत्रीय हब विकसित करने में मदद मिलेगी।