Move to Jagran APP

भेदिया कारोबारियों की अब खैर नहीं

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भेदिया कारोबारियों के खिलाफ अब भारत में भी अमेरिका, ब्रिटेन की तरह सख्त नियम बनेगा। सेबी की तरफ से इस बारे में मौजूदा नियमों में संशोधन के लिए न्यायाधीश एनके सोढ़ी की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने काफी कठोर नियम बनाने का सुझाव दिए हैं। अगर ये सुझाव कानून की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं कंपनियों की ग

By Edited By: Published: Wed, 11 Dec 2013 10:19 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भेदिया कारोबारियों के खिलाफ अब भारत में भी अमेरिका, ब्रिटेन की तरह सख्त नियम बनेगा। सेबी की तरफ से इस बारे में मौजूदा नियमों में संशोधन के लिए न्यायाधीश एनके सोढ़ी की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने काफी कठोर नियम बनाने का सुझाव दिए हैं। अगर ये सुझाव कानून की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं कंपनियों की गोपनीय सूचनाओं के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ ही सरकारी बाबुओं और इनके रिश्तेदारों व अन्य करीबियों पर भी सेबी की नजर रहेगी।

पढ़ें: डीमैट खाता खोलना हुआ आसान

भेदिया कारोबार किसी सूचीबद्ध कंपनी के अंदर के व्यक्तियों की तरफ से उक्त कंपनी से जुड़ी सूचनाओं के आधार पर उनके शेयरों या स्कीमों का किया गया सौदा है। आम तौर पर ये सूचनाएं सार्वजनिक नहीं होती हैं। इसके आधार पर सूचना रखने वाला व्यक्ति अपने फायदे के लिए कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त करता है। पिछले साल ही प्रसिद्ध अमेरिकी कंपनी मैकेंजी के मैनेजिंग डायरेक्टर रहे भारतीय मूल के रजत गुप्ता को भेदिया कारोबार का दोषी पाया गया था। इस मामले में उन्हें न सिर्फ कैद की सजा सुनाई गई बल्कि करोड़ों रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

देश में भेदिया कारोबार को लेकर नियम बहुत स्पष्ट नहीं हैं। न्यायाधीश सोढ़ी समिति ने इस बात के पुख्ता इंतजाम किए हैं कि कंपनियों की अंदरुनी सूचना रखने वाले लोग इसका फायदा उठाकर मुनाफा न कमाने पाएं। उन्होंने जो सुझाव दिए हैं उसके मुताबिक सूचीबद्ध कंपनियों के बारे में नियम बनाने वाले सरकारी अधिकारी या इन कंपनियों से जुड़े किसी मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों और उनके रिश्तेदारों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। अब कंपनियों को अपने उन सभी अधिकारियों और उनके करीबी रिश्तेदारों की सूची सेबी को देनी होगी जिनके पास कंपनी से जुड़ी अंदरूनी सूचना हो सकती है। ये सभी व्यक्ति जब भी कंपनी की स्कीमों या शेयरों या अन्य प्रतिभूतियों का कारोबार करेंगे उसकी पूर्व जानकारी सेबी को देनी होगी।

कुछ मामलों में हर तरह के कारोबार की सूचना देनी होगी, तो कुछ मामलों में दस लाख रुपये से ज्यादा के कारोबार की सूचना बाजार नियामक को देनी होगी। न्यायाधीश सोढ़ी समिति ने साफ तौर पर कहा है कि आम जनता के पास जो सूचनाएं नहीं होती उन सूचनाओं के आधार पर किसी और को मुनाफा कमाने की छूट नहीं दी जा सकती। अब किसी पर भेदिया कारोबार का आरोप लगता है तो उस व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया है।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.