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सत्यम घोटाला: राजू पर 14 साल का प्रतिबंध

सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक बी रामलिंगा राजू व चार अन्य 14 साल तक शेयर बाजारों में कोई कारोबार नहीं कर सकेंगे। देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घोटाले में साढ़े पांच साल तक चली जांच को पूरा करने के बाद मंगलवार को बाजार नियामक सेबी ने इन सभी पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें ब्याज समेत गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए 1,

By Edited By: Published: Wed, 16 Jul 2014 08:18 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jul 2014 08:18 AM (IST)
सत्यम घोटाला: राजू पर 14 साल का प्रतिबंध

मुंबई। सत्यम कंप्यूटर के संस्थापक बी रामलिंगा राजू व चार अन्य 14 साल तक शेयर बाजारों में कोई कारोबार नहीं कर सकेंगे। देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट घोटाले में साढ़े पांच साल तक चली जांच को पूरा करने के बाद मंगलवार को बाजार नियामक सेबी ने इन सभी पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्हें ब्याज समेत गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए 1,849 करोड़ रुपये लौटाने को भी कहा गया। इसे 45 दिन के भीतर सेबी के पास जमा किया जाना है।

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राजू के साथ जिन अन्य लोगों पर रोक के निर्देश लागू होंगे, उनमें राजू का भाई बी रामा राजू (सत्यम का पूर्व एमडी), वी श्रीनिवास(पूर्व सीएफओ), जी रामकृष्ण (पूर्व वाइस प्रेसीडेंट) व वीएस प्रभाकर गुप्ता (आंतरिक ऑडिट के पूर्व प्रमुख) शामिल हैं।

अपने 65 पेज के आदेश में सेबी ने कहा कि ब्याज सालाना 12 फीसद की दर से लिया जाएगा। इन पांच लोगों ने निजी हित के लिए योजनाबद्ध तरीके से घोटाले को अंजाम दिया। निवेशकों को इसमें भारी नुकसान हुआ। ऐसे घोटाले बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इन्हें किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सेबी के पूर्ण-कालिक सदस्य राजीव कुमार अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि वे इस मामले में कठोर कार्रवाई के पक्षधर हैं, ताकि बाजार में सकारात्मक संदेश जाए। इन सभी लोगों को वास्तविक वित्तीय नतीजों की पूरी जानकारी रही, लेकिन भ्रामक व झूठे नतीजे निकाले जाते रहे।

क्या था घोटाला:

सात जनवरी, 2009 को राजू ने सेबी को ईमेल लिखकर खुद कंपनी के बही-खातों में हेराफेरी की बात स्वीकार की थी। नौ जनवरी को उसको भाई बी रामा राजू के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। लंबे समय तक जेल में रहने के बाद अभी राजू जमानत पर है, मामला सीबीआइ की विशेष अदालत में चल रहा है।

घोटाले के समय सत्यम देश की चौथी सबसे बड़ी आइटी फर्म हुआ करती थी। देश के इतिहास में 14 हजार करोड़ रुपये के इस सबसे बड़े घोटाले के सामने आने के बाद सरकार ने कंपनी का बोर्ड भंग कर नया निदेशक मंडल बनाया था। बाद में टेक महिंद्रा ने कंपनी का अधिग्रहण कर इसका नाम महिंद्रा सत्यम रख दिया था। अब यह टेक महिंद्रा का हिस्सा बन चुकी है।

पढ़ें: खत्म हो गई सत्यम


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